राजस्थान हाईकार्ट के जस्टिस अरुण भंसाली की कोर्ट ने शिक्षक डॉ नरेंद्र
कुमार टाक की याचिका को स्वीकार करते हुए, शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल का
परिणाम निम्न स्तर पर आने के कारण वार्षिक वेतन वृद्धि पर लगाई गई रोक के
आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. साथ ही शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब
किया है.
दरअसल याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुशील सोलंकी ने बताया की
याचिकाकर्ता प्रिंसिपल के पद पर गवर्नमेंट सेकेंडरी स्कूल, धोली मगरी,
उदयपुर में कार्यरत था.
विभाग द्वारा याचिकाकर्ता को एक आरोप पत्र दिया गया जिसमें याचिकाकर्ता पर
यह आरोप था की याचिकाकर्ता के उस स्कूल में पदस्थापन के दौरान सत्र 2013-14
में दसवीं कक्षा का बोर्ड परीक्षा परिणाम मात्र सत्रह प्रतिशत रहा जो
विभागीय मानदंड से कम था. यह संस्थान प्रधान की हैसियत से शैक्षिक
कर्तव्यों का प्रति उदासीनता एवं लापरवाही का कृत्य है.
निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, बीकानेर के आदेश के द्वारा याचिकाकर्ता को एक
वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के दंड से दण्डित किया
गया. इस पर याचिकाकर्ता ने आदेश की विरुद्ध विभागीय अपील की जो अपीलीय
अधिकारी के आदेश के जरिए खारिज कर दी गई. इसके विरुद्ध याचिका दायर की गई .
याची के अधिवक्ता सुशील सोलंकी ने सुनवाई दौरान दलील देते हुए कोर्ट को
बताया कि कम परीक्षा परिणाम के लिए मात्र याचिकाकर्ता को दोषी नहीं ठहराया
जा सकता. इसमें याचिकाकर्ता की कोई लापरवाही नहीं है.