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राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला: किसी भी कर्मचारी का तबादला दंड के रूप में नहीं किया जा सकता

जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने एक रिट याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी का स्थानांतरण दंड के रूप में नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जोधपुर से सिरोही किए गए स्थानांतरण आदेश को निरस्त कर दिया।

याचिकाकर्ता हेमेंद्र कुमार त्रिवेदी की ओर से अधिवक्ता प्रमेंद्र बोहरा ने रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता वन विभाग जोधपुर में रेंजर ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत है। इनका स्थानांतरण रेंज मंडोर वन मंडल जोधपुर से वन मंडल सिरोही में गत 23 सितंबर 2016 को किया गया है।
अधिवक्ता बोहरा ने कहा याचिकाकर्ता का स्थानांतरण मुख्य वन संरक्षक जोधपुर द्वारा किया गया है, जो कि अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उसका सक्षम अधिकारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपुर है। स्थानांतरण शिकायत के आधार पर किया गया है, जो दंडस्वरूप किया गया है। इनकी सेवानिवृति भी 30 जून 2018 को प्रस्तावित है। विभाग की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध अनेक शिकायतें होने के कारण उसका स्थानांतरण किया गया है, जिसका आदेश में उल्लेख किया गया है।
कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश को निरस्त किया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कर्मचारी का दंड के रूप में स्थानांतरण किया जाना विधि विरुद्ध है, इसलिए किसी भी कर्मचारी का स्थानांतरण दंड के रूप में नहीं किया जा सकता।

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