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चीफ जस्टिस बोले- भारत जैसे विशाल देश में किसी चमत्कार की उम्मीद न करें

नई दिल्ली शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) पर अमल की निगरानी करने से शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगाेई ने याचिकाकर्ता से कहा कि किसी चमत्कार की उम्मीद न करें।
भारत बहुत विशाल देश है। यहां बहुत सारी प्राथमिकताएं हैं। शिक्षा भी इन्हीं प्राथमिकताओं में से एक है।

अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ ने एक जनहित याचिका के जरिये कोर्ट से मांग की थी कि आरटीई पर अमल के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। पहले कोर्ट ने संघ से कहा था कि इस मुद्दे पर वह केंद्र सरकार को रिप्रेजेंटेशन सौंपें। साथ ही सरकार से भी इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा था। कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर लिए फैसले की जानकारी भी मांगी थी।

हालांकि, शुक्रवार को कोर्ट ने इस पर आगे सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। बेंच ने पाया कि रिप्रेजेंटेशन पर संज्ञान लेकर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है। शिक्षक संघ ने याचिका में कहा था कि सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। शिक्षकों के 9.5 लाख पद खाली हैं। इसका नुकसान बच्चों को हो रहा है। याचिका में दावा किया गया था कि राज्यों में आरटीई का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में प्राइमरी स्तर पर 14 लाख 45 हजार 807 सरकारी और रजिस्टर्ड प्राइवेट स्कूल हैं। 2015-16 तक करीब 3.68 करोड़ बच्चे ऐसे थे, जो कभी स्कूल ही नहीं गए।

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