लीगल रिपोर्टर | जोधपुर जेएनवीयू शिक्षक भर्ती घोटाले में बर्खास्त किए गए 34 शिक्षकों के
मामले में मंगलवार को भी बहस अधूरी रही। याचिकाकर्ताओं और जेएनवीयू की ओर
से बहस की गई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर बहस करते हुए अधिवक्ताओं ने तर्क दिया, कि शिक्षकों को
बर्खास्तगी का आदेश एसीबी की अनुशंसा पर दिया गया है, जबकि एसीबी
अपॉइंटमेंट ऑथोरिटी नहीं है। जेएनवीयू की सलेक्शन कमेटी ने सभी योग्यताओं
को देखते हुए चयन किया था। उन्होंने यह भी कहा, कि विवि का ऑर्डिनेंस है,
विवि एक स्वायत्तशासी संस्था है, इसलिए यूजीसी द्वारा निर्धारित की गई
योग्यता की पालना करना जरूरी नहीं है। विवि काे भर्ती के लिए नियम-कायदे
बनाने का अधिकार है। जबकि विवि की ओर से अधिवक्ता दीपेशसिंह बेनीवाल ने बहस
करते हुए कहा, कि यूजीसी रेगुलेशन बाध्यकारी है। विवि द्वारा बनाया गया
आॅर्डिनेंस यूजीसी रेगुलेशन के अनुरूप नहीं है, इसलिए इसे वैधानिक नहीं कहा
जा सकता है। समयाभाव के चलते बहस अधूरी रही। जस्टिस पीके लोहरा ने अगली
सुनवाई 14 अगस्त को मुकर्रर की है।
छात्र संघ अध्यक्ष का कार्यालय खाली करवाने के मामले में सुनवाई टली, अब 10 अगस्त को
जोधपुर | जेएनवीयू प्रशासन द्वारा छात्र संघ अध्यक्ष कांता ग्वाला
का कार्यालय खाली करवाने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार को
सुनवाई टल गई। इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी। तब तक छात्र संघ
अध्यक्ष का कार्यालय खाली करवाने पर यथास्थिति रहेगी। विश्वविद्यालय
प्रशासन की ओर से छात्र संघ कार्यालय को खाली करवाने की कार्यवाही को
ग्वाला ने कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से विवि की कार्यवाही
को अनुचित बताया और कहा था, कि यह विधि विरुद्ध है। विवि की ओर से यह कहा
गया कि तब तक यथावत स्थिति रखी जाएगी। उल्लेखनीय है, कि विवि के तत्कालीन
कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने छात्रसंघ कार्यालय खाली करवाने के निर्देश दिए
थे। वर्तमान कुलपति ने भी कार्यालय खाली करवाने के विवि के इंजीनियर को
निर्देश दिए थे।