जोधपुर | जेएनवीयू शिक्षक भर्ती 2013 के तहत नियुक्त शिक्षकों को सेवा से
हटाकर पालना रिपोर्ट पेश करने के कुलाधिपति व राज्यपाल के आदेश को एक
शिक्षक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट के समक्ष तर्क रखा, कि उसे आशंका
है कि उसे बिना सुने और पक्ष जाने बगैर ही हटा दिया जाएगा।
इस पर हाईकोर्ट
जस्टिस डॉ. पीएस भाटी ने याचिकाकर्ता को प्रोटेक्शन ग्रांट करते हुए
नियमानुसार कार्यवाही किए बिना हटाने पर रोक लगा दी तथा याचिका को
निस्तारित भी कर दिया।
याचिकाकर्ता भगवानसिंह शेखावत की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर ने
याचिका पेश कर कोर्ट को बताया, कि याचिकाकर्ता वर्ष 2013 की भर्ती में
इतिहास विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयनित हुआ था। गत 15 जून 2018
को गवर्नर व कुलाधिपति ने एक आदेश जारी किया कि जेएनवीयू शिक्षक भर्ती 2013
के तहत चयनित अभ्यर्थियों का अवैधानिक रूप से चयन हुआ है, इसलिए इन्हें
हटाकर सूचित किया जाए। माथुर ने कहा, कि कही ऐसा नहीं हो, इस आदेश की पालना
में याचिकाकर्ता को नियमों की पालना और सुनवाई का मौका दिए बिना सीधा
नौकरी से हटा दें।
अधिवक्ता ने कहा, कि यूजीसी और जेएनवीयू के ऑर्डिनेंस द्वारा भर्ती के
लिए निर्धारित अर्हता रखते हैं। भर्ती के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का पालन
करते हुए उनका चयन हुआ है। उन्होंने यह भी तर्क दिया, कि विवि पहले भी
दो-तीन बार इन बिंदुओं को आधार बनाकर जांच कर चुका है। इसमें जिनको दोषी
पाया गया, उन्हें बर्खास्त किया जा चुका है तथा इस मामले में हाईकोर्ट में
प्रकरण भी विचाराधीन है। भर्ती के पांच साल बाद केवल द्वेषतापूर्वक हटाने
के लिए अब यह कार्यवाही की जा रही है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए
कहा, कि याचिकाकर्ता को नियमानुसार कार्यवाही व सुनवाई का मौका दिए बिना
नहीं हटाया जाए। यानी विवि के ऑर्डिनेंस 320 में उल्लेखित कार्यवाही की
पालना करनी होगी। अगर उन्हें हटाया जाता है तो अगले 40 दिन तक बर्खास्तगी
के आदेश को स्थगित रखा जाएगा। कोर्ट ने इन निर्देशों के साथ याचिका को
निस्तारित कर दिया। वैसे नौ शिक्षकों ने मिलकर याचिका दायर की थी, लेकिन
कोर्ट ने व्यक्तिगत याचिका दायर करने के निर्देश दिए हैं, यानी यह आदेश
फिलहाल केवल याचिकाकर्ता शेखावत पर लागू होगा।