कस्बे के एक बीपीएल परिवार के मुखिया ने पंक्चर की दुकान तथा बीपीएल परिवार
से मिलने वाली आर्थिक सहायता से अपने परिवार का जैसे-तैसे खर्चा चलाने के
साथ अपने बच्चों को विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर बच्चों को शिक्षित
बनाया। आज इनके तीनों बेटे सरकारी शिक्षक हैं।
बड़ा बेटा मनीष व्याख्याता
तथा दूसरे नंबर का बेटा गणेश व तीसरे व छोटा बेटा अशोक तृतीय श्रैणी
अध्यापक बन गया है। तीन बेटों को सरकारी नौकरी मिलने से परिवार के खुशियों
का ठिकाना नहीं है। टोडा दरवाजा के पास रहने वाला 9वीं पास धर्मचंद साहू ने
1980 में पंक्चर की दुकान लगा ली। धर्मचंद साहू के परिवार की माली हालात
शुरू से ही खस्ताहाल थी। पिता ने टायरों का पंक्चर की दुकान के साथ ही
नरेगा, अकाल राहत कार्यों में मजदूरी करके व उनकी प|ि ने पूड़ियां बेलकर
परिवार का खर्चा उठाने के साथ ही अपने तीनों बच्चों को पढा-लिखाकर शिक्षित
किया। धर्मचंद व प|ि कांता का कहना है कि उन्होंने गरीबी के दिन देखे हैं।
टायर पंक्चर व पूड़ियां बेलकर परिवार का खर्चा नहीं चलता था। बीपीएल से
मिलने वाले गेहु में आंधे को बेचकर राशन सामग्री लाते थे। कई बार तो हालात
ये थे कि बाजार से 1-1 किलो आटा भी लाना पड़ा है। दिनरात मेहनत का परिणाम
यह हुआ कि आज पूरा परिवार शिक्षक है। हमें उम्मीद नहीं थी कि बेटों सरकारी
नौकरी में चयन हो जाएगा। मगर आज हमारे तीनों बेटे शिक्षक हैं। इनके तीनों
बेटों का सरकारी अध्यापक में चयन होने की चर्चा गांव में भी है। धर्मचंद का
सबसे बडा बेटा मनीष डबल एमए, बीएड है। उसका 2015 हिन्दी व्याख्याता के पद
पर बूंदी जिले के रूणीजा गांव स्थित राउमावि में चयन हुआ। दूसरा बेटा गणेश
बीएसटीसी, बीए है तथा दो सालों से राजसंमद जिले के आमेट पंचायत समिति में
शिक्षक के पद पर कार्यरत है। सबसे छोटा बेटा अशोक पिछले 15 सालों से दैनिक
भास्कर का हाॅकर है। अपने दोनों भाईयों के सरकारी नौकरी में चयन के बाद
दैनिक भास्कर की जिद करो दुनिया बदलों की जिद से प्रेरणा लेकर अडा रहा।
दिन-रात मेहनत, लगन व योग्यता के दम पर अशोक का भी 2018 में तृतीय श्रैणी
शिक्षक भर्ती चयन हो गया।