बांसवाड़ा. प्रदेश में संचालित निजी विद्यालयों की मनमर्जी से फीस वसूली
और फीस में वृद्धि के मामले सामने आने के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने
अंतिम बार चेतावनी देते हुए कहा है कि सात दिन में विद्यालय में माता-पिता
अध्यापक संगम का और इसके बाद विद्यालय स्तरीय फीस कमेटी का गठन करें।
आठवें
दिन सूचना पोर्टल पर अपडेट करें। ऐसा नहीं करने वाले निजी विद्यालयों की
मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में कई निजी विद्यालयों में राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन)
अधिनियम 2017 के तहत फीस कमेटी का गठन नहीं हुआ है। निजी विद्यालयों की ओर
से नए शैक्षिक सत्र में मनमर्जी से शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई है। जयपुर
में एक विद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर कार्रवाई भी की गई है, लेकिन अब
भी अभिभावकों की जेब पर ‘डाका’ डाला जा रहा है। इसे देखते हुए निदेशालय ने
सख्त रुख अख्तियार किया है।
छह माह पहले पालना करनी थी
विद्यालयों में
माता-पिता अध्यापक संगम और फीस कमेटी का गठन करने के आदेश गत सत्र में ही
दे दिए गए थे। इन आदेशों की पालना छह माह पूर्व में ही कर देनी थी, लेकिन
प्रदेश में कई विद्यालयों में इसकी पालना ही नहीं की गई। इसमें कमेटी का
गठन कर सूचना विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करनी थी। जिला शिक्षा
अधिकारी को भी इसकी प्रति उपलब्ध कराने के साथ ही प्राइवेट स्कूल पोर्टल पर
भी अपलोड करनी थी। बावजूद अधिकांश विद्यालयों की ओर से इस संबंध में
कार्रवाई नहीं की गई।
अब दी चेतावनी
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के उप
निदेशक की ओर से अब चेतावनी भरा पत्र जारी किया गया है। जिला शिक्षा
अधिकारियों को भेजे पत्र में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि उनके जिले
में संचालित सभी निजी विद्यालयों को इसके लिए पाबंद करें और सात दिन की
अवधि में फीस कमेटी का गठन कर फीस निर्धारण की सूचना पोर्टल पर अपलोड
कराएं। जो निजी विद्यालय आदेशों की अवहेलना करते हैं, उन्हें एक बार नोटिस
जारी करें और पालना कराएं। सात दिन की अवधि के बाद आठवें दिन अधिनियम की
पालना नहीं करने वाले विद्यालयों की मान्यता समाप्ति के प्रस्ताव तैयार कर
स्पष्ट अनुशंसा के साथ निदेशालय को भेजें। इसमें लापरवाही बरतने पर जिला
शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भी सीसीए 17 के तहत कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।