राजसमंद/आईड़ाणा. स्कूलों में पासबुक के बढ़ते प्रयोग
की लेकर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कठोर रूख अपनाया हैं। राज्य
परियोजना निदेशक राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद जयपुर एवं निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर
ने मंगलवार को समस्त उपनिदेशकों, जिला शिक्षा अधिकारियों, अतिरिक्त जिला
परियोजना
समन्वयकों एवं संस्था प्रधानों को आदेश जारी कर विद्यालय में
पासबुक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के दिशा निर्देश जारी किए हैं। विभाग
का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने एवं विद्यार्थियों में विषय की
समझ विकसित करने के प्रति स्कूल शिक्षा विभाग प्रतिबद्ध है। विभाग का यह भी
प्रयास है कि विद्यार्थी रटन्त प्रणाली को छोडक़र विभिन्न विषयों की मूल
अवधारणा व संकल्पना को समझे, जिससे न केवल परीक्षाओं में बेहतर परिणाम
हासिल कर सके बल्कि व्यावहारिक रूप से इस ज्ञान का उपयोग भी कर सके। नेशलन
अचिवमेट सर्वे एवं स्टेट लेवल अचिवमेंट सर्वे तथा अन्य संस्थाओं द्वारा
गुणात्मक उपलब्धि सर्वे में भी विद्यार्थियों के विषयगत ज्ञान, समझ, कौशल
एवं व्यावहारिक उपयोग पर आधारित प्रश्न होते हैं। विभाग ने शिक्षकों को
निर्देशित किया कि वो पाठ्यपुस्तक में पढ़ाये जाने वाली विषयवस्तु से
संबंधित स्वरचित प्रश्नों के अधिकाधिक अभ्यास करावें। अब विद्यालयों में
पासबुक का प्रयोग न हो बल्कि विद्यार्थी एवं शिक्षक पाठ्यपुस्तकें एवं
प्रामाणिक संदर्भ पुस्तकों का ही प्रयोग करें। विभाग ने राजकीय विद्यालयों
में पासबुक का प्रयोग वर्जित कर दिया है। विद्यालय समय में किसी शिक्षक एवं
विद्यार्थी के पास पासबुक पाई तो संबंधित के विरूद्ध अनुशासनात्मक
कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
इसलिए हुआ जरूरी
कक्षाओं में स्वरचित प्रश्नों का
अभ्यास नहीं होने एवं पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों का पासबुक से हल करने की
प्रवृति से हर बच्चे के बैग से पासबुक मिलती है। वहीं पासबुक विक्रेताओं
द्वारा सत्रारम्भ में विद्यालयों में शिक्षकों को पासबुक की एक स्पेशी मेन
कॉपी भी दी जाती। वहीं परीक्षा के दिनों में डेस्क वर्ग से अभ्यास करवाया
जाता है। जिससे विद्यालयों में पाठ्पुस्तकों की तुलना में बासबुक एवं
डेस्कवर्के का बोल बोला बढ़ गया है। इसमें पासबुक छापने वाले मोटी रकम कमाते हैं।