अलवर. देश में एक और डिजिटल इंडिया
का दावा किया जा रहा है और अधिक से अधिक सरकारी और गैर सरकारी कार्य
ऑनलाइन किए जा रहे हैं। इन सभी के मध्य शिक्षा विभाग अब भी ऑफलाइन कार्य कर
रहा है।
दिल्ली सरकार, केन्द्रीय विद्यालय और कर्नाटक सरकार की ओर से शिक्षकों
के तबादले ऑनलाइन किए जाते हैं। इन तबादलों में शिक्षकों के पूर्व में किस
स्थान पर कितना ठहराव, परीक्षा परिणाम सहित महत्वपूर्ण सूचनाएं अंकित करनी
होती है। इसके आधार पर ही शिक्षकों के तबादलें किए जाते हैं। इस प्रक्रिया
के चलते कई राज्यों में शिक्षकों को राजनीतिक नेताओं के लोगों के घरों के
चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। प्रदेश में कई बार शिक्षकों की तबादला नीति
बनाने की कवायद प्रारम्भ हुई लेकिन वह अधूरी ही रह गई। इसी प्रकार कांग्रेस
सरकार में तत्कालीन शिक्षा मंत्री ऑनलाइन शिक्षक तबादला पॉलिसी का अध्ययन
करने कर्नाटक राज्य भी गए थे।
इस बार सरकार फिर शिक्षकों के तबादले करने जा रही है लेकिन अभी तक कोई तबादला नीति नही बनी है।
अब भी कई काम ऑफ लाइन हो रहा
शिक्षा विभाग की ओर से अब कई कार्य ऑफलाइन हो रहे हैं। वर्तमान में
पीईईओ अपने अधीनस्थों शिक्षकों का वेतन बनाकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी
कार्यालय को भेज रहे हैं। ये बिल वहां से ऑफलाइन ही ट्रेजरी को भेजे जा रहे
हैं। इसके कारण इसमें समय की बर्बादी भी होती है। इसी प्रकार शिक्षकों के
तबादले हैं जो अभी तक ऑनलाइन नहीं हो पाए हैं।
ये कहते हैं शिक्षक नेता
शिक्षक संघ सियाराम के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि सरकार
ने अभी तक शिक्षकों की तबादले की प्रक्रिया को ऑनलाइन नहीं किया है जिससे
प्रदेश के सबसे बड़े विभाग के कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। इस बारे में
पंचायती राज शिक्षक व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर का कहना
है कि सरकार जान-बूझकर शिक्षकों के तबादले को ऑनलाइन नहीं कर रही है। इस
मामले में सरकार को अभी भी समय रहते तबादले प्रक्रिया को ऑनलाइन कर सकते
हैं।