हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2017 (लेवल दो) में गणित-विज्ञान
विषय के 927 तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर आगामी सुनवाई
20 मार्च तक रोक लगा दी है। न्यायाधीश वीएस सिराधना ने यह अंतरिम निर्देश
सतीश कुमार की याचिका पर मंगलवार को दिया।
अधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि हाईकोर्ट की खंडपीठ के 27 अप्रैल
2017 के आदेश के पालन में राज्य सरकार ने 29 अगस्त 2017 को पंचायती राज
नियम 1996 में संशोधन करते हुए संबंधित विषय में नियुक्ति के लिए स्नातक व
रीट में विषय की अनिवार्यता लागू की थी। बाद में 11 सितंबर 2017 को एक
विज्ञप्ति जारी की। विज्ञप्ति में गणित विषय के शिक्षक के लिए स्नातक में
गणित विषय होने और विज्ञान के शिक्षक के लिए स्नातक में फिजिक्स,
कैमिस्ट्री, बॉयलोजी, जूलॉजी, बॉटनी, बायो कैमिस्ट्री व बायो टैक्नोलॉजी का
विषय रखा। लेकिन राज्य सरकार ने विज्ञान व गणित विषय के शिक्षकों के लिए
अलग अलग शैक्षणिक योग्यताएं तय करने के बाद भी विज्ञान गणित के पदों को एक
समान मानते हुए 927 पदों की भर्ती निकाल दी । इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते
हुए कहा कि जब दोनों विषयों के शिक्षकों की योग्यताएं अलग हैं तो सामान्य
रूप से एक पद पर दोनों का चयन नहीं हो सकता। इसके अलावा भर्ती में गणित व
विज्ञान के पदों पर ऐसे अभ्यर्थियों का चयन कर लिया जिनके पास 12 वीं
,स्नातक व बीएड में गणित विषय नहीं था। जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि इन
अभ्यर्थियों के पास रीट में गणित विषय था, इसलिए उनका चयन किया है। अदालत
ने पूर्व में खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश व राज्य सरकार के भर्ती नियमों के
आधार पर गणित-विज्ञान विषय के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा
दी।
एसबीसी-एमबीसी के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति पर रोक, सरकार से मांगा जवाब
द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2016 का मामला
जयपुर |हाईकोर्ट ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2016 में एसबीसी
(स्पेशल बैकवर्ड कास्ट) व एमबीसी (मोर बैकवर्ड कास्ट) कोटे के पदों पर
नियुक्ति पर रोक लगाते हुए मामले में आरपीएससी व राज्य सरकार से जवाब मांगा
है। न्यायाधीश वीएस सिराधना ने यह अंतरिम निर्देश बलवीर गोचर की याचिका पर
दिया। अधिवक्ता आरपी सैनी ने बताया कि आरपीएससी ने 13 जुलाई 2016 को
द्वितीय श्रेणी शिक्षक के संस्कृत सहित सात विषयों में भर्ती की विज्ञप्ति
जारी की थी। इस भर्ती में एसबीसी व एमबीसी कोटे के लिए भी पदों को आरक्षित
किया गया। लेकिन राज्य सरकार ने द्वितीय श्रेणी की कट ऑफ नहीं निकाली व
एसबीसी व एमबीसी कोटे के लिए आरक्षित पदों को भी सामान्य अभ्यर्थियों से
भरा जा रहा है। जबकि एमबीसी को अब राज्य सरकार ने आरक्षण दे दिया है। इसलिए
उनके लिए आरक्षित पदों को सामान्य अभ्यर्थियों से नहीं भरा जा सकता। इसलिए
एसबीसी-एमबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य अभ्यर्थियों से भरने पर रोक
लगाई जाए। अदालत ने मामले में राज्य सरकार व आरपीएससी से जवाब मांगते हुए
एसबीसी-एमबीसी कोटे के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति पर राेक लगा दी।