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प्रदेश में विशेष शिक्षकों का अभाव, राज्य मानवाधिकार आयोग ने की तल्ख टिप्पणी

राजस्थान में करीब 7 लाख दिव्यांग, मूक-बधिर और दृष्टिबाधित बच्चे हैं. लेकिन, इन्हें पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों का अभाव है. राज्य मानवाधिकार ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे मानवाधिकार हनन का
बेहद गंभीर मामला माना है. साथ ही इसे दिव्यांग बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह भी बताया है. आयोग अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मामले में प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक की रिपोर्ट पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग के एसीएस से तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की है.

आयोग ने एसीएस से इस सम्बन्ध में कार्य योजना और दृष्टिकोण से अवगत करवाने को भी कहा है. जस्टिस टाटिया ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि लगता है प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक ने परिवाद के तथ्यों को पढ़े बिना ही रिपोर्ट भेज दी है, और यह रिपोर्ट पूरी तरह असंतोषजनक है. रिपोर्ट से जहां दिव्यांग विद्यार्थियों की संख्या का सही अनुमान नहीं लग पा रहा है. वहीं कई बातों को रिपोर्ट में स्पष्ट भी नहीं किया गया है. आयोग अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि आयोग इससे आश्चर्यचकित नहीं है क्योंकि सरकारी अधिकारियों के काम करने का यही तरीका है.

दरअसल परिवादी को आरटीआई में दी गई सूचना में दिव्यांग विद्यार्थियों की संख्या 87 हजार 798 बताई गई है. जबकि, निदेशक की रिपोर्ट में यह संख्या 25 हजार 40 ही बताई गई है. मार्च 2017 में पेश की गई निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में केवल 49 विशेष शिक्षक कार्यरत हैं.

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