Important Posts

Advertisement

चयन परीक्षा अनिवार्य योग्यता के आधार पर होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चयन परीक्षा भर्ती विज्ञापन में दी गई अनिवार्य योग्यता के आधार पर ही होनी चाहिए। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों में उम्मीदवारों के बराबरी के अंक होने पर ही वांछित (डिजायरेबल)
योग्यता को प्राथमिकता दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट और अपने पूर्व फैसलों में दी गई इस व्यवस्था पर मुहर लगाते हुए पश्चिम बंगाल सेन्ट्रल स्कूल सर्विस कमीशन की याचिका खारिज कर दी है।


न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने सर्विस कमीशन की याचिका खारिज करते हुए उसे हाईकोर्ट के फैसले पर अमल करने के लिए एक माह का वक्त दिया है। इस मामले में 2007 में सेन्ट्रल स्कूल में सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकला। भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार होना था। अनिवार्य योग्यता स्नातक डिग्री थी। मुस्तकिन अली खान ने आवेदन किया और लिखित परीक्षा में 95 में से 62.5 अंक अर्जित किये। लेकिन, उसे साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। जबकि सामान्य श्रेणी में जिसे साक्षात्कार के लिए बुलाया गया उसके 59.5 अंक थे। उसके पास बीएड की डिग्री भी थी।

मुस्तकिन बीएससी (आनर्स) और एमएससी थे लेकिन बीएड नहीं थे। साक्षात्कार में नहीं बुलाने पर मुस्तकिन ने कलकत्ता हाईकोर्ट में रिट दाखिल की। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने रिट मंजूर करते हुए उसे साक्षात्कार के लिए बुलाने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि चयन परीक्षा अनिवार्य योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। वांछित योग्यता को सिर्फ तभी प्राथमिकता दी जा सकती है जबकि उम्मीदवारों के लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में बराबर के अंक हों। आयोग ने एकलपीठ के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी लेकिन खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी। जिसके खिलाफ आयोग सुप्रीम कोर्ट आया था।

आयोग का कहना था कि परीक्षा में कम अंक अर्जित करने के बावजूद दूसरे उम्मीदवार के पास बीएड की डिग्री थी। बीएड डिग्री वांछित योग्यता में मांगी गई थी ऐसे में उसका चयन किया जाना ठीक है। लेकिन मुस्तकिन के वकील राजकुमार गुप्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट अपने पूर्व के तीन फैसलों में व्यवस्था दे चुका है कि अगर पूरी चयन प्रक्रिया लिखित परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक सभी में बराबरी के अंक हों तभी वांछित योग्यता को प्राथमिकता देकर जोड़ा जा सकता है। कोर्ट ने करीब एक घंटे तक दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सेवा आयोग की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि उसे हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने का कोई उचित आधार नजर नहीं आता।

UPTET news

Recent Posts Widget

Photography