Important Posts

Advertisement

प्रदेश के एक लाख से ज्यादा शिक्षक अभ्यर्थी होंगे रीट से वंचित

स्नातक में न्यूनतम 50 फीसदी अंकों की शर्त
सरकार के एक आदेश से प्रदेश के करीब एक लाख बीएडधारियों को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा फरवरी में आयोजित होने वाली रीट से वंचित होना पड़ रहा है।
6 नंवबर से शुरू हुई आवेदन प्रक्रिया में सरकार ने उन बीएडधारी अभ्यर्थियों को ही रीट के योग्य माना जिन्होंने स्नातक में 50 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इसके बाद पीटीईटी के माध्यम से बीएड की है। विज्ञप्ति में एमए में 50 प्रतिशत से अधिक अंकों के आधार पीटीईटी देकर बीएड की डिग्री प्राप्त करने वाले हजारों अभ्यर्थियों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। युवाओं को इस भर्ती को लेकर पिछले दो साल से अधिक समय से इंतजार था। अब भर्ती निकली तो उनके सपनों पर पानी फिरता नजर रहा है। इधर, कई बेरोजगार अभ्यर्थी इसे लेकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों से बार-बार संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार सरकार ने 2009-10 में पीटीईटी करने वाले अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता में स्नातक पीजी लेवल पर 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिए थे। इसके चलते हजारों अभ्यर्थियों ने जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक थे तो उन्होंने पीजी के लेवल पर पीटीईटी देकर बीएड की थी, लेकिन अब रीट में इन अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया जा रहा है।

35हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पदों पर होगी भर्ती: फरवरीमें प्रस्तावित रीट के बाद सरकार की ओर से 35 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती निकाली जाएगी। इसको लेकर तैयारियां भी चल रही हैं। ऐसे में अगर एमए के आधार बीएड करने वालों को इस भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं किया तो हजारों बेरोजगार अभ्यर्थी शिक्षक बनने से वंचित रह जाएंगे।

2009 में बना नियम

सरकारने पीटीईटी में शामिल होने के लिए स्नातक एमए में 50 प्रतिशत अंकों के आधार डिग्री होना अनिवार्य किया था। जिन अभ्यर्थियों के स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक थे, उन्हें एमए के आधार पीटीईटी में शामिल किया था। इसके बाद उन्होंने बीएड की डिग्री प्राप्त की थी। 2009-10 से पहले तो स्नातक या एमए में 50% अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को भी पीटीईटी में शामिल किया जाता था।

2012 की भर्ती में शामिल किया, अब रोका माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने

2009-10के बाद एमए के आधार पर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को सरकार ने आरटेट 2011 2012 की परीक्षा में शामिल किया था। इसके बाद इनमें से ज्यादातर अभ्यर्थियों आरटेट पास भी कर लिया था। इस परीक्षा में पास होने के बाद हजारों अभ्यर्थी 2012 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब 2012 की भर्ती परीक्षा में एमए के आधार पर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को शामिल किया गया है तो रीट में क्यूं नहीं किया जा रहा है, जबकि आरटेट का नाम बदलकर ही इस बार रीट किया गया है।

जब एमए के आधार पर बीएड करने वाला फर्स्ट सैकंड ग्रेड शिक्षक बनने के योग्य, तो तृतीय श्रेणी बनने के योग्य क्यों नहीं?

प्रदेशभरमें रीट को लेकर बनाए गए नियम भी समझ से परे हैं। सरकार की आेर से एक तरफ तो एमए के आधार पर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को स्कूल व्याख्याता द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए योग्य माना जाता है। दूसरी ओर फरवरी में प्रस्तावित रीट में शामिल होने के लिए बीए में 50 प्रतिशत अनिवार्य कर दिए, जबकि यह बेरोजगार युवा एमए के आधार बीएड कर चुके हैं। फिर भी सरकार इनको रीट के योग्य नहीं मानती है।

स्नातक स्तर पर 50 फीसदी अंक के साथ बीएड होना अनिवार्य

अभ्यर्थियोंके स्नातक में 50 फीसदी से कम अंक हैं तथा उन्होंने पीजी के आधार पर बीएड की है ऐसे प्रदेश में करीब 1 लाख अभ्यर्थी हैं। इन अभ्यर्थियों को इस रीट में शामिल नहीं किया जा रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि स्नातक में 50 फीसदी अंक अनिवार्य है।

^रीट को लेकर योग्यता का निर्धारण सरकार की ओर से किया जाता है। बोर्ड सिर्फ परीक्षा कराता है। सरकार की ओर से जो भी दिशा-निर्देश मिलेंगे उसके अनुसार काम करेंगे। -प्रो. बीएल चौधरी, चेयरमैन, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर 

UPTET news

Recent Posts Widget

Photography