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तीन साल में बेटों से आगे निकली बेटियां, पहली बार 91 हजार छात्राओं को मिलेगा गार्गी पुरस्कार

बेटीबचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत पिछले तीन सालों में बालिका शिक्षा में काफी सुधार हुआ है। आकड़ों पर नजर डाले तो बेटों को पछाड़कर बेटियां आगे निकल आई हैं।
10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में बेटियों ने बेहतर प्रदर्शन किया। जहां 2013 में 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त करने वाली छात्राएं 44 हजार थी, वहीं 2014 में यह आंकड़ा 68 हजार हो गया।
2015 में तो यह 91 हजार तक पहुंच गया। इस साल मिलने वाले गार्गी पुरस्कार में प्रदेशभर की 91 हजार छात्राएं सम्मानित होगी। उदयपुर दौरे पर आए शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने भास्कर से बातचीत में कहा कि वर्तमान सरकार के आने के बाद प्रदेश की और खासकर बालिकाओं के शिक्षा में सुधार हुआ है।

यहां तक की एक नेशनल एनजीओ समर के सर्वे के अनुसार राजस्थान शिक्षा में दूसरे नंबर पर गया है। पहले नंबर पर महाराष्ट्र है। अगले वर्ष तक गार्गी पुरस्कार प्राप्त करने वाली बालिकाओं के शिक्षा के आंकड़े को 1 लाख के ऊपर ले जाने की कोशिश की जा रही है।

बेटियां50 प्रतिशत, बेटे 45 प्रतिशत पर आए

बोर्डपरीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने में जहां बेटियों का परिणाम 50 प्रतिशत रहा है तो बेटों का 45 प्रतिशत पर ही अटक गया है। पिछली बोर्ड में भी बालिका 91 हजार रही तो बालक 75 हजार पर आकर सिमट गए। छात्राओं को गार्गी पुरस्कार के तहत 3 हजार रुपए का चैक दिया जाता है। इसमें पहली किश्त सम्मान समारोह में अगली किश्त अगली कक्षा में जाने के बाद बालिका प्रोत्साहन राशि के नाम से मिलती है।

इनकारणों से आया बालिका शिक्षा में सुधार

मंत्रीदेवनानी ने बताया कि शिक्षा में सुधार होने के कई कारण है। स्टाफ पैटर्न, विद्यालय मर्जीकरण और स्कूल समन्वयन आदि वजह है। प्राइमरी स्कूलों में विषयाध्यापक लगाना भी इसमें शामिल है। पहले विज्ञान वाले शिक्षक गणित पढ़ा रहे थे लेकिन अब जिस विषय का अध्यापक है वहीं विषय पढ़ा रहे हैं। सरकार आई तब प्रदेश में शिक्षकों के 49 प्रतिशत पद रिक्त थे। अभी 24 प्रतिशत पद रिक्त है। अगले सत्र तक 11 प्रतिशत तक हो जाएंगे।

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