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शिक्षकों की ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति पर हो रुख स्पष्ट

जयपुर,(विसं): राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि हर शिक्षक को उसके सेवाकाल में तय समयावधि के लिए ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति देने के संबंध में सरकार अपना रुख स्पष्ट करे।
अदालत ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में अध्यापन कराने वाले शिक्षकों को क्या अधिक वेतन या पदोन्नति में वरीयता दी जा सकती है?
अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को इस संबंध में सरकार का रुख पेश करने को कहा है। न्यायाधीश केएस अहलुवालिया ने यह आदेश छोटूराम सैनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार नए अभ्यर्थी को शिक्षक के रूप में नियुक्ति देते समय उसकी मैरिट को आधार बनाती है। इसके चलते दक्ष शिक्षक राजधानी, संभाग मुख्यालय और जिला मुख्यालय में तैनात हो जाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों के लिए कम मैरिट वाले अभ्यर्थी ही शेष रह जाते हैं।

अदालत ने कहा कि आज कोई भी शिक्षक गांव में पढ़ाने के लिए जाने को तैयार नहीं है। हर शिक्षक की इच्छा जयपुर या प्रमुख जगह पर ही नियुक्ति पाने की रहती है। याचिका में अधिवक्ता बनवारी शर्मा ने बताया कि स्कूल व्याख्याता भर्ती-2013 में उसके अधिक अंक आने के बावजूद भी उसे गृह जिला आवंटित नहीं किया गया। जबकि कम अंक वालों को उनके इच्छित स्थानों पर लगाया गया है।

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