Important Posts

Advertisement

स्टाफिंग पैटर्न के बाद भी विसंगतियां- 32 छात्रों पर 8 तो 74 के नामांकन पर 17 शिक्षक कार्यरत

शिक्षाविभाग के अधिकारियों बाबुओं ने स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर इतने बड़े स्तर पर गड़बडिय़ां की हैं कि अब वे खुद भी समझ नहीं पा रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर जिले की पूरी शिक्षा व्यवस्था को लाचार बना दिया है। स्टाफिंग पैटर्न का उद्देश्य विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति करना था।
लेकिन विभाग के अधिकारियों बाबुओं ने अपने चहेतों शिक्षकों को फायदा पहुंचाने के लिए स्टाफिंग पैटर्न के नियम कायदे ही बदल दिए। बाबुओं ने तो स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या का ध्यान रखा ही पहले से कार्यरत शिक्षकों का। जहां मर्जी हुई अपने चेहते शिक्षक को लगा दिया। चाहे उस स्कूल में पहले से उस विषय का शिक्षक कार्यरत हो। यही नहीं पदस्थापन से लेकर विषय बदलने यथावत रखने के आदेश भी मनमर्जी से जारी कर दिए। शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी स्टाफिंग पैटर्न को लेकर भले ही पीठ थपथपा रहे हों और स्टाफिंग पैटर्न के राजस्थान मॉडल को अन्य राज्य भी अपनाने की सलाह दे रहे हों, लेकिन इसी पैटर्न को अधिकारियों बाबुओं ने अपने चेहते शिक्षकों को नजदीकी स्कूलों में लगाने के लिए पूरी तरह तोड़-मरोड़ दिया। अब हालत यह कि इसके चलते कई स्कूलों में पूरी शिक्षण व्यवस्था ही चरमराई गई।

जांच कमेटी की रिपोर्ट भी हकीकत

काउंसलिंगमें हुई गड़बड़ियों को लेकर कलेक्टर ने जांच कमेटी का गठन कर दिया। प्रारंभिक स्तर पर चल रही जांच में भी इन बाबुओं अधिकारियों के कारनामे सामने रहे हैं। जांच कमेटी के सदस्य आईएएस सुभाष सोनी ने बताया कि अभी तक एक हजार से अधिक शिकायतों काे लेकर जांच चल रही है। इस जांच के आधार पर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी तय है। एडीएम बीके चांदोलिया, प्रशिक्षु आईएएस सुभाष सोनी बूसी प्रिंसीपल केके राजपुरोहित की इस कमेटी में इन पूरे मामले की जांच चल रही है। जांच कमेटी खुद भी मान रही है कि बड़े लेवल पर गड़बडिय़ों हुई हैं।

कहीं छात्र तो कहीं शिक्षक भुगत रहे खामियाजा

सरकारने 30 छात्रों के नामांकन पर एक ही शिक्षक की नियुक्ति के निर्देश दिए। लेकिन, केरला स्कूल में सिर्फ 32 का नामांकन है इसके बाद भी 8 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी।देवासियों की ढाणी में सिर्फ 74 के नामांकन पर 17 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी। जबकि नियमानुसार इस स्कूल में तीन शिक्षक ही होने चाहिए। खामियाजा उन स्कूलों के विद्यार्थियों को भुगताना पड़ रहा है जहां पर एक ही शिक्षक कार्यरत है।

काउंसलिंग पर उठ रहे सवाल, स्कूलों में पद नहीं फिर भी पदस्थापन

गौरतलबहै कि स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर शिक्षकों के स्कूलों में पदस्थापन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में दिन-ब-दिन घपले उजागर हो रहे हैं। बाबुओं अधिकारियों के पूरी तरह से नियमों को ताक पर रखकर काउंसिलिंग करने पर सवाल खड़े करते हुए शिक्षकों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई, मगर इनका निस्तारण तक नहीं किया। काउंसलिंग में भी सारी हदें पार कर दी। स्कूलों में पद नहीं होने के बाद भी शिक्षकों को पदस्थापन का आदेश थमा दिया। शिक्षक ज्वॉइन करने पहुंचे तो पता चला कि स्कूल में पद ही स्वीकृत नहीं है। आखिर में उनको डीईअो कार्यालय में ज्वॉइनिंग करनी पड़ी। ऐसे कई मामले सामने आए हैंं। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के बाबुओं ने अधिकारियों के साथ मिलकर पदस्थापन की सूची जारी की है, जिसको लेकर समूचा शिक्षक जगत भी हैरान है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि यह घपला सामने आने के बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। बाबुओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

^ जिन स्कूलों में शिक्षक ज्यादा हैं उनको हटाकर जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं है वहां लगाया जाएगा। विद्यार्थियों की पढ़ाई खराब नहीं होने दी जाएगी। इसको लेकर आज ही निर्देश देती हूं। नूतनबालाकपिला, उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

UPTET news

Recent Posts Widget

Photography