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पुलिस ऑन टार्गेट..पहले थर्ड डिग्री का इस्तेमाल, फिर दिया सेल्फॉस

नागौर जिले के बोरावड़ कस्बे के बहुचर्चित लक्की हत्याकांड में बड़ा खुलासा हुआ है। प्रकरण में निजी बी.एड कॉलेज के शिक्षक विकेश गौड़ की मौत पुलिस हिरासत के दौरान विषाक्त से हुई थी। विकेश के विसरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट में विकेश के पेट में एल्युमिनियम फॉस्फेट (सेल्फोस) मिला होना पाया
गया है। इस रिपोर्ट ने नागौर जिला पुलिस की कार्यशैली और सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।

नागौर पुलिस ने बोरावड़ के लक्की हत्याकांड में विकेश को शक के आधार पर पकड़ा था। पुलिस ने विकेश पर न केवल थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया, बल्कि उसे दो-तीन दिन भूखा भी रखा गया। इसे विकेश ज्यादा सहन नहीं कर सका और 11 नवम्बर 2015 को अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में उसकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विकेश के शरीर पर चोट के निशान होना भी पाया गया। अब अजमेर विधि विज्ञान प्रयोगशाला (विष) की रिपोर्ट में उसके पुलिस हिरासत में विषाक्त सेवन करना सामने आया है। एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद नागौर जिला पुलिस की मुश्किलें और बढ़ गई है।

सीआईडी सीबी कर रही है जांच

विकेश के छोटे भाई अंकलेश गौड़ व ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से प्रकरण में सीबीआई जांच की मांग की थी। उनकी मांग पर सीआईडी सीबी को जांच सौंपी गई। जबकि न्यायिक अभिरक्षा में मृत्यु होने के कारण अजमेर सीजेएम न्यायिक जांच कर रहे हैं। इसमें एफएसएल रिपोर्ट के बाद फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के मेडिकल ज्यूरिस्ट और पोस्टमार्टम के लिए गठित बोर्ड में शामिल चिकित्सकों के बयान दर्ज किए गए।

 मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामकुमार कसवां, उप अधीक्षक अमरजीत सिंह व मकराना एसएचओ तुलसीराम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। मकराना एसएचओ तुलसीराम सहित तीन सिपाहियों को लाइन हाजिर किया था।

आखिर कैसे पहुंचा विषाक्त!

एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद नागौर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर पुलिस हिरासत में विकेश तक विषाक्त कैसे पहुंचा, उसको यह किसने मुहैया कराया। पुलिस अभिरक्षा में विकेश को विषाक्त पीने के लिए किसने विवश किया। लक्की हत्याकांड में विकेश की मौत से किसको फायदा होना था। ऐसे सैकड़ों अनगिनत सवाल हैं, जिनका नागौर पुलिस को जवाब देना है।

जानलेवा है फोसजिन गैस

विशेषज्ञों के अनुसार सेल्फोस में फोसजिन गैस निकलती है। सेल्फोस का इस्तेमाल अन्य वस्तु में मिलाने से उसकी गैस हवा हो जाती है और असर कम हो जाता है। सीधे मुंह से गटकने पर वह मृत्युकारितसाबित होती है। चिकित्सकों के मुताबिक अब तक चिकित्सा विज्ञान में एल्युमिनियन फास्फेट का एन्टी डॉट नहीं है।

मकराना के विकेश की एफएसएल जांच रिपोर्ट भेज दी गई है। जांच में पॉइजन एल्युमिनियम फास्फेट (सेल्फोस) मिला है। कोर्ट ने भी जांच रिपोर्ट मांगी थी। मृत्यु का कारण पॉइजन ही है।

राखी खन्ना, सहायक निदेशक क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (विष)

प्रकरण की जांच सीआईडी सीबी कर रही है। जांच एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मनोज भट्ट, पुलिस महानिदेशक
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