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अच्छा रिजल्ट देने वाले संस्था प्रधान का बाड़मेर तबादला : राजस्थान शिक्षकों का ब्लॉग

सीकर । सरकार का स्टाफिंग पैटर्न और तबादलों की राजनीति शिक्षकों के साथ स्कूलों पर भी भारी पड़ रही है। सरकार ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शत प्रतिशत परिणाम देने वाले प्रधानाध्यापक व शिक्षकों तक के तबादले बाड़मेर सरीखे जिलों में कर दिए हैं। वहीं, स्टाफिंग पैटर्न से पदों की गड़बडिय़ां कर बेहतर नामांकन वाली स्कूलों तक का खाका बिगाड़ दिया है। ऐसे में सरकार नीतियों का प्रभाव स्कूलों के नामांकन के साथ शिक्षकों के मनोबल पर भी पड़ रहा है। अब शिक्षक संगठनों के साथ ग्रामीणों में भी रोष शुरू हो गया है। बेहतर काम का परिणाम!
राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल चला का 12वीं बोर्ड का परिणाम सरकारी स्कूलों में सबसे बेहतर रहा। यहां 94 में से 80 बच्चे प्रथम व 14 बच्चे द्वितीय श्रेणी से पास हुए।
10वीं में भी 58 में से महज एक बच्चा फेल हुआ। लेकिन, इतना बेहतर परिणाम देने वाले प्रधानाचार्य श्रीराम निठारवाल का तबादला बाड़मेर की शिवाना तहसील में कर दिया गया।
निठारवाल वह फ्लाइंग ऑफिसर भी रह चुके हैं, जिन्होंने बोर्ड परीक्षा में चार नकलचियों के खिलाफ अनुचित साधनों के प्रयोग का मामला बरसों बाद दर्ज किया था।
जहां दो दिन में 150 प्रवेश, वहां हटाए तीन शिक्षक
गारिण्डा उच्च माध्यमिक स्कूल को इस बार ग्रामीणों का बेहतर सहयोग मिल रहा है।
दो दिन में वहां 150 नए बच्चों का नामांकन हुआ है। लेकिन, स्टाफिंग पैटन में वहां वैकल्पिक हिंदी विषय होने के बावजूद व्याख्याता का पद नहीं दिया गया। बल्कि, द्वितीय श्रेणी हिंदी व सामाजिक के वरिष्ठ अध्यापक के पद ओर खत्म कर दिए। यही नहीं विज्ञान के द्वितीय श्रेणी शिक्षक का तबादला भी बेसवा के उस उच्च माध्यमिक स्कूल में कर दिया, जहां वह पद पहले ही तबादले से भरा जा चुका है।

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