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शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग तेज, कोटा में शिक्षण समुदाय में नाराजगी

कोटा। सेवा में कार्यरत शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) को अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ शिक्षण समुदाय में असंतोष बढ़ता जा रहा है। कोटा सहित प्रदेश के कई जिलों में शिक्षक संगठनों ने इस नियम को अनुचित और अव्यावहारिक बताते हुए इसे समाप्त करने की मांग की है।

शिक्षकों का कहना है कि जो शिक्षक वर्षों से विद्यालयों में सेवाएं दे रहे हैं, उनकी योग्यता और अनुभव पर एक परीक्षा के माध्यम से प्रश्नचिह्न लगाना सही नहीं है। शिक्षक संगठनों का तर्क है कि सेवा अनुभव, प्रशिक्षण और शैक्षणिक परिणाम किसी भी शिक्षक की क्षमता को आंकने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

शिक्षक प्रतिनिधियों ने चिंता जताई कि टीईटी अनिवार्यता के कारण कई अनुभवी शिक्षक नौकरी, वेतन वृद्धि और पदोन्नति से वंचित हो सकते हैं। इससे न केवल शिक्षकों का मनोबल गिरेगा, बल्कि विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

शिक्षण समुदाय का यह भी कहना है कि जब इन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, उस समय टीईटी अनिवार्य नहीं था। ऐसे में बाद में नियम बदलकर इसे लागू करना न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि पुराने शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाए या इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए।

शिक्षकों का यह भी सुझाव है कि यदि सरकार टीईटी को आवश्यक मानती है, तो सेवा में मौजूद शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण, पर्याप्त समय और सरल मूल्यांकन प्रणाली लागू की जानी चाहिए, ताकि वे बिना मानसिक दबाव के परीक्षा दे सकें।

फिलहाल टीईटी अनिवार्यता को लेकर शिक्षकों की नाराजगी लगातार बढ़ रही है। शिक्षक संगठनों ने सरकार से इस विषय पर संवेदनशील निर्णय लेने और शीघ्र समाधान निकालने की अपील की है, ताकि शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों दोनों के हित सुरक्षित रह सकें।

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