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सुनवाई:बिना सहमति शिक्षकों का वेतन नहीं काटा जाए

 शिक्षकों की सहमति लिए बिना ही कोविड-19 राहत कोष के नाम पर प्रतिमाह वेतन से की गई कटौती के आदेश पर राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने 22 नवंबर को

राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के पक्ष में आदेश पारित कर दिया है।शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिलाध्यक्ष मौजीराम नागर, जिलामंत्री बृजगोविंद टेलर व जिला सभाध्यक्ष महावीर मीणा ने बताया कि संगठन की याचिका पर सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि किसी भी कर्मचारी से लिखित में सहमति लिए बिना कोविड-19 राहत कोष के लिए किसी तरह की वेतन कटौती नहीं की जाए। गौरतलब है कि शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने एसबी सिविल रिट से राज्य सरकार की ओर से प्रतिमाह एक दिन के वेतन कटौती के आदेश को चुनौती दी थी।जिसके बाद सरकार के 10 नवंबर के आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि यदि कोई कर्मचारी संबंधित आहरण वितरण अधिकारी को वेतन से कटौती नहीं करने की लिखित सूचना देगा तो उसके वेतन से कटौती नहीं की जाएगी। इसके बाद 26 नवंबर को उक्त आदेश में संशोधन कर दिया। जिसके अनुसार केवल उन्हीं कर्मचारियों की वेतन कटौती होगी जो संबंधित आहरण वितरण अधिकारी को लिखित में इस मामले में सहमति देंगे।शिक्षक संघ राष्ट्रीय के विभाग संगठन मंत्री त्रिलोक शर्मा, जिला संगठन मंत्री गिरिराज नागर, कीर्ति गालव, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामकिशन नागर, विपिन जैन आदि पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री, वित्त विभाग, शिक्षामंत्री तथा मुख्य सचिव को न्यायालय के निर्णय की प्रति व सरकार की ओर से वेतन कटौती कर्मचारी की लिखित सहमति देने के बाद करने के 26 नवंबर के आदेश का हवाला देते हुए माह सितंबर व अक्टूबर के वेतन में कटौती करने की लिखित सहमति नहीं दी गई है और विभाग की ओर से प्रतिमाह एक दिन का वेतन काट लिया गया।साथ ही बिना सहमति के माह मार्च के वेतन से 16 दिन का वेतन स्थगित कर दिया। उसे वापस भुगतान करने के आदेश पारित कर शिक्षकों को राहत देने की प्रदेशाध्यक्ष संपत सिंह व प्रदेश महामंत्री अरविंद व्यास ने सरकार से मांग की है।

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