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राजस्थान में एक भी नियमित कंप्यूटर अध्यापक नहीं, कोर्ट ने स्पष्टीकरण देने के दिए आदेश

जयपुर। राजस्थान में दस हजार से ज्यादा कंप्यूटर लैब तैयार है और दसवीं कक्षा में कंप्यूटर एक अनिवार्य विषय है लेकिन इसको पढ़ाने के लिए एक भी नियमित अध्यापक नहीं है। इस पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्कूल शिक्षा सचिव को 17 जनवरी को पेश होकर स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने पूछा है कि स्कूलों में नियमित कंप्यूटर अध्यापक भर्ती को लेकर सरकार की क्या योजना है।

डॉ. चेतना यादव ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें कहा कि प्रदेश में 14200 सरकारी स्कूल हैं जिनमें माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर की कक्षाएं चल रहीं हैं। इन स्कूलों में कंप्यूटर विज्ञान विषय भी पढ़ाया जा रहा है। लेकिन इन स्कूलों में एक भी कंप्यूटर शिक्षक नियमित नहीं है और न ही इसको लेकर कोई कैडर भी नही बनाया है । राज्य सरकार का ध्यान केवल कंप्यूटर की खरीद करने पर है।
याचिकाकर्ता के वकील टीएन शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार का दावा है कि तीन या चार महीने का कोर्स करने वाले संविदाकर्मी बच्चों को पढ़ा रहे हैं ऐसे में पढ़ाई के स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है। सबसे बड़ी बात है कि सरकार परीक्षा लेकर बच्चों को अंक भी दे रही है सवाल उठता है जब अध्यापक नहीं है तो परीक्षा कैसी हो सकती है और अंक कैसे दे सकते हैं।
जबकि बिहार, दिल्ली, हरियाणा और सभी केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षक है और नियमित कैडर पर भर्ती हो रही है। जिस पर न्यायाधीश संगीत राज लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल की खंडपीठ ने 17 जनवरी को सुनवाई पर स्कूल शिक्षा सचिव को सरकारी स्कूलों में नियमित कंप्यूटर टीचर की भर्ती का प्लान पेश करने और मामले में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।

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