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पिछले 21 सालाें से शिक्षक भर्ती में नियुक्ति का इंतजार कर रहे उच्च वरियता वाले शिक्षकों के लिए जल्द ही सरकार स्तर पर नियुक्ति देने का फैसला

पिछले 21 सालाें से शिक्षक भर्ती में नियुक्ति का इंतजार कर रहे उच्च वरियता वाले शिक्षकों के लिए जल्द ही सरकार स्तर पर नियुक्ति देने का फैसला लिया जा सकता है। क्योंकि विधानसभा में 1998 शिक्षक भर्ती और व्यावसायिक शिक्षकों के मुद्दे हावी रहे। जहां विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा।
भादरा विधायक बलवान पूनिया ने कहा कि 1998 में शिक्षक भर्ती में नियुक्ति से वंचित उच्च वरियता वाले अभ्यर्थियों को सरकार कब न्याय देगी। इस नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों से आदेश जारी कर दिए गए हैं लेकिन सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। दोनों सरकारें बदली, लेकिन फैसला नहीं ले पाई। कोर्ट के फैसले 2010 के मुताबिक अनिल शर्मा और 2014 में नीरज सक्सैना के मामले में आदेश को व्यक्तिगत माना गया, लेकिन सामूहिक रुप से अभ्यर्थियों को लाभ नहीं दिया गया। 2 हजार शिक्षक आज भी इंतजार में जयपुर कलेक्ट्रेट पर धरनारत हैं। बहरोड़ विधायक बलजीत यादव ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई 2002 को निर्णय दिया कि जिले और ग्रामीण में बोनस अंकों को हटाकर नई वरियता सूची जारी करके उच्च वरियता वाले को प्राथमिकता दी जाए। सरकार को सहानुभूति रखते हुए तत्काल नियुक्ति देनी चाहिए।

व्यावसायिक शिक्षकों पर भी जल्द फैसले की मांग : सदन में चल रहे वाद विवाद के बीच विपक्ष की ओर से व्यावसायिक शिक्षकों का मुद्दा भी उठाया गया। बताया गया कि बार बार कोर्ट में जाकर स्टे लिया, लेकिन अभी तक चार अपील हुई उसमें मनोज फौजदार, मनीष कुमार शर्मा, रघुपालसिंह और नीरज श्याम तिवाड़ी के पक्ष में फैसला हुआ। लेकिन सरकार ने कोर्ट की बात नहीं सुनी।

कुशलगढ़ विधायक रमीला ने कहा- जल स्वावलंबन के कामाें की जांच हो

कुशलगढ़ में बनी तलवाड़ी जिसमें पानी सूख चुका है।

विधानसभा में बांसवाड़ा जिले की 5 विधानसभाअाें में महज विधानसभा क्षाेत्र विधायकाें ने ही अपने क्षेत्र की समस्याएं प्रमुखता से रखी है। घाटोल विधायक हरेंद्र निनामा और कुशलगढ़ विधायक रमीला खड़िया को छोड़ कोई भी विधायक अब तक के सत्र में सवाल नहीं पूछ सका है। जबकि विधानसभा में मात्र 7 दिन बचे हैं। कुशलगढ़ विधायक रमीला खड़िया ने पहले जहां क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्थाओं को सुधारने की मांग की तो मंगलवार को उन्होंने पूर्व भाजपा सरकार की जल स्वावलंबन योजना के तहत किए कामों की जांच कराने की मांग कर डाली। खड़िया ने कहा कि जिस तरह से इस योजना में मशीनों से काम चला, वहीं से मिट्‌टी लेकर वहीं उसकी भरपाई कर दी। आज की तारीख में वहां जरा भी पानी नहीं हैं। इस तरह वहां घटिया काम किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना पर विधायक ने कहा कि हमारे क्षेत्र की जनता भोली है। 2011 की जनगणना में जो आवास आए थे, आज भी वहीं चल रहे हैं। लोगों के साथ लूटमार की जा रही है। पहली किश्त 30 हजार रुपए आती है तो दूसरी किश्त 60 हजार आती है। हमारी जनता जब बैंक में जाती है तो बैंक वाले ई मित्र पर भेजते हैं। ई मित्र वाला 2 बार अंगूठा या दस्तखत करवाने के बाद उनको 40 हजार या 50 हजार रुपए पकड़ा देता है। वह इतनी ही किश्त आई है ऐसा कहकर गुमराह करता है। शौचालयों के लिए 12 हजार रुपए मिलते हैं। जनता को 12 हजार रुपए नहीं मिले हैं। जो पंचायतें ओडीएफ हो गई हैं, इनकी जांच कराने की आवश्यकता है।

कागजों में ही शौचालय बने हैं। हमारे घाटा के क्षेत्र में पानी की बहुत समस्या है। बहुत सारी पंचायतें ऐसी हैं। जहां शौचालय के रुपए मिले ही नहीं हैं। विधायक ने इसके अलावा कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ की पंचायतों में रिक्त पड़े ग्राम सेवकों के पदों से भी सदन को अवगत कराया। 

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