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हे सरकार! हमारे बेरोजगार रक्तदान कर रहे हैं... उम्मीद है इन्हें रोजगार देकर सेहतमंद बनाएंगे

सरकार से नौकरी की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे बेरोजगारों ने शुक्रवार को एक नया काम कर दिखाया। उन्होंने लोगों को जीवनदान देने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन किया और 262 यूनिट रक्त एकत्रित कर लिया। यह शिविर सतीश सोनी और राजवीर चौधरी की स्मृति में आयोजित किया गया था। सोनी का एक दुर्घटना में और चौधरी का अवसाद के चलते निधन हो गया था।
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ की ओर से मानसरोवर मैट्रो स्टेशन के पास स्थित ग्रीन हैवंस गार्डन में आयोजित इस शिविर में रक्तदान के लिए सुबह से ही बेरोजगार पहुंचने लगे थे। वे अब तक केवल रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने एक नया संदेश देते हुए रक्तदान शिविर आयोजित किया। उनका कहना था कि अगर हमारा रक्त किसी की जान बचा सकता है तो वे खुद को भाग्यशाली समझेंगे। महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने बताया कि शिविर में हमने 251 यूनिट रक्त एकत्र करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन बेरोजगारों के जोश के चलते हम लक्ष्य से अधिक रक्त एकत्र कर पाए। बेरोजगारों का यह खून जो अब तक सूखता और जलता रहा है। अब लोगों का जीवन बचाने के भी काम आ सकेगा। एसएमएस अस्पताल की टीम का पूरा सहयोग रहा।

बेरोजगारों ने कैंप लगाकर 262 युनिट खून दान किया

तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती : तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2018 (लेवल-1) में 26 हजार पदों पर भर्ती निकाल गई थी, लेकिन 8 हजार अभ्यर्थी ज्वाइन करने नहीं पहुंचे। इन खाली पदों पर अभ्यर्थी प्रतीक्षा सूची की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। इसी प्रकार तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती लेवल-2 में रीशफल परिणाम और वेटिंग लिस्ट जारी करने के बाद 5681 नए अभ्यर्थियों को पोस्टिंग दी जानी थी। निर्वाचन विभाग ने भी अनुमति दे दी थी, लेकिन अभी तक कई जिलों में नियुक्ति का काम अटका हुआ है।

चुनाव होते रहे, वादेे मिले लेकिन रोजगार नहीं

सीएसडीएस-लोकनीति और दैनिक भास्कर के प्री पोल सर्वे में विकास महंगाई के बाद रोजगार तीसरा बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। इस सर्वे में यह बात सामने आई कि 20 फीसदी मतदाता वोट देते समय बेरोजगारों की बड़ा मुद्दा मानकर मतदान करेंगे। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भर्तियां बड़ा मुद्दा साबित हुई थी। भाजपा सरकार ने वर्ष 2018 में सवा लाख से अधिक भर्तियां निकाल। चुनाव तक अधिकांश भर्तियों की भर्ती परीक्षाएं नहीं हुई और जिनकी हो गई थी। उनका परिणाम अटका रहा। 

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