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तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर पचास से अधिक अभ्यर्थियों को राहत

लीगल रिपोर्टर. जोधपुर| हाईकोर्ट ने पचास से अधिक अभ्यर्थियों को राहत दी है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को विभाग द्वारा नए प्रोबेशनर नहीं मानने और पहले समान पद पर किए गए कार्य को जोड़ते हुए वरीयता सहित वेतन श्रृंखला देने के आदेश दिए हैं।
इन अभ्यर्थियों की घर से दूरदराज जिलों में तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर पोस्टिंग हुई थी और उन्होंने जॉइनिंग भी कर ली, इस बीच नई वेकेंसी आई तो फिर से परीक्षा दी और अपने जिले या अपने घर के समीपवर्ती चले गए। शिक्षा विभाग ने रिलीव नहीं किया तो पुरानी सेवा से त्यागपत्र दे दिया और नई भर्ती के तहत जॉइनिंग दे दी, लेकिन शिक्षा विभाग ने पिछली सेवा को नहीं जोड़ते हुए फिर से प्राेबेशनर मान लिया था। याचिकाकर्ता अशोक कुमार शर्मा व अन्य की ओर से अधिवक्ता श्रीकांत वर्मा ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया, कि वर्ष 2012 में आयोजित शिक्षक भर्ती में याचिकाकर्ता सफल रहे, लेकिन इन्हें अपने गृह जिलों से दूर नियुक्ति मिली। वर्ष 2013 में आयोजित शिक्षक भर्ती के तहत फिर एग्जाम दिया और चयन हो गया, लेकिन विभाग ने रिलीव ने नहीं किया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने पुराने पद से त्यागपत्र देकर नई भर्ती के तहत चयनित जगह पर जॉइनिंग दे दी। शिक्षा विभाग ने इनको फिर से प्रोबेशनर मानते हुए कनिष्ठतम वेतन श्रृंखला दी। सरकार की ओर से भी पक्ष रखा गया। दोनों पक्ष सुनने के बाद जस्टिस अरुण भंसाली ने याचिकाओं को स्वीकार कर याचिकाकर्ताओं को प्रोबेशनर नहीं मानने व पूर्व पदस्थापन की एलपीसी नई नियुक्ति के स्थान पर भेजने के आदेश दिए।

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