अजमेर. विशेष शिक्षक लेवल द्वितीय की भर्ती 2018 में जिला परिषदों की ओर से
प्रशैक्षिक योग्यता में गड़बड़ी कर मेरिट तैयार करने से कई योग्यताधारी
अभ्यर्थी मेरिट से बाहर हो गए।
प्रदेश की कई जिला परिषदों ने प्रशैक्षिक
योग्यता कम वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में स्थान देने पर अभ्यर्थियों ने
निदेशालय तक आवाज पहुंचाई।
गनीमत रही कि समय रहते प्रारंभिक शिक्षा व पंचायती राज (प्राशि)
राजस्थान बीकानेर के निदेशक ने जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों
को आदेश जारी कर नियुक्ति रुकवा दी। इससे योग्यताधारी अभ्यर्थियों की फिर
से उम्मीद जगी है।
प्रदेश की टोंक, राजसमंद सहित अन्य जिला परिषदों की ओर से विशेष शिक्षक
लेवल द्वितीय में एक वर्षीय डिप्लोमाधारियों को मेरिट में शामिल करते हुए
तोहफा थमा दिया। अभ्यर्थियों की शिकायत एवं न्यायालय के आदेश की प्रतियां
मिलने के बाद जिला परिषदों की ओर से निदेशक से तृतीय श्रेणी अध्यापक विशेष
शिक्षा की भर्ती में एक वर्षीय विशेष शिक्षा में डिप्लोमाधारी (पीजीपीडी)
के संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया।
न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यदि किसी अभ्यर्थी
की ओर से विशेष शिक्षा में एक वर्षीय डिप्लोमा प्राप्त किया गया है तो वह
तृतीय श्रेणी अध्यापक विशेष शिक्षक के पद पर नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।
यह दिए थे तर्क, तब उड़ी नींद-विज्ञप्ति में स्पष्ट है कि संबंधित पद के
लिए दो वर्षीय डिप्लोमा एवं बीए या स्पेशल बीएड होना आवश्यक है।
-मार्गदर्शन में भी दो वर्षीय डिप्लोमा एवं बीए या स्पेशल बीएड आवश्यक है।
-भारत
सरकार के जारी नवीनतम गजट पत्र के अनुसार स्पष्ट उल्लेख है कि
लेवल-द्वितीय के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा एवं बीए या स्पेशल बीएड होना
आवश्यक है। जोधपुर हाईकोर्ट ने एक केस में स्पष्ट आदेश किया कि आरसीआई
सिर्फ पाठ्यक्रम को मान्यता प्रदान करेगी लेकिन पाठ्यक्रम की अवधि की
मान्यता एनसीटीई की ओर से मान्य होगा।
गड़बड़ी का खुलासा होने पर नियुक्ति रोकी
नि:शक्तजन हित संरक्षण संघ राजस्थान के प्रांतीय अध्यक्ष राजकुमार वर्मा
के अनुसार यदि किसी अभ्यर्थी की ओर से विशेष शिक्षा में एक वर्षीय
डिप्लोमा प्राप्त किया गया है तो वह तृतीय श्रेणी अध्यापक विशेष शिक्षक के
पद पद पर नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।