चिड़ियावासा, बांसवाड़ा सहित प्रदेशभर में रविवार को सब इंस्पेक्टर भर्ती
परीक्षा का आयोजन किया गया। बांसवाड़ा में यह परीक्षा 28 केंद्रों पर हुई।
जिसमें शहर सहित आसपास के कूपड़ा, ठीकरिया और चिड़ियावास में भी केंद्र
बनाए गए हैं। सहायक नोडल अधिकारी डॉ. राजेश जोशी ने बताया इसमें कोई फर्जी
अभ्यर्थी और नकल करते नहीं पकड़ा गया। लेकिन यह परीक्षा पहले की हुई अन्य
परीक्षाओं से कुछ अलग रही क्योंकि सबसे कम परीक्षार्थी पहुंचे तो वो इसी
परीक्षा में थे। बांसवाड़ा में सब इंस्पेक्टर बनने के लिए कुल 9072
परीक्षार्थियों को बैठना था, लेकिन इनमें महज 337 परीक्षार्थी ही परीक्षा
देने पहुंचे। यह परीक्षा दो सत्रों में आयोजित हुई। चिड़ियावासा परीक्षा
केंद्र पर 540 में से मात्र ही 2 परीक्षार्थियों ने अपनी उपस्थिति दी।
केन्द्राधीक्षक अविनाश दवे और पर्यवेक्षक रितेश जैन ने बताया कि नागौर जिले
के डोंडियावाडिया निवासी मनसीराम पुत्र रामनिवास जाट और बाड़मेर के
डालूराम पुत्र रेखाराम जाट ही परीक्षा देने आए। इन्होंने बताया कि बस में
सीट भी नहीं मिली और नीचे बैठकर आना पड़ा। इमान्नुएल स्कूल में 200 में से
मात्र 8, लीयो स्कूल में 288 में से मात्र 9 , लियो कॉलेज में 504 में से
मात्र 19 ओर सेंट थॉमस स्कूल में 150 में से मात्र 5 परीक्षार्थियों ने
परीक्षा दी।
कम उपस्थिति होने के कारण
1. रोडवेज बसों की हड़ताल-
सभी अभ्यर्थियों के केंद्र गृहजिले में नहीं होकर दूर के जिलों में
थे। बांसवाड़ा में भी दौसा, सीकर, गंगानगर, बीकानेर सहित अन्य जिलों के
परीक्षार्थी थे, जो रोडवेज की हड़ताल के कारण केंद्र पर नहीं पहुंच सके। कई
जिलों से बांसवाड़ा का सीधा परिवहन भी नहीं है।
2. अन्य परीक्षाओं में चयन
एसआई की परीक्षा से पहले एलडीसी, शिक्षक, एमबीसी सहित अन्य परीक्षाएं
हो चुकी हैं। कई अभ्यर्थियों ने उनमें भी आवेदन किया था जिनका उनमें चयन
होने के कारण अभ्यर्थियों ने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में ज्यादा रुचि
नहीं दिखाई।
3. अधिक दूरी आर्थिक भार
एलडीसी भर्ती के चौथे और अंतिम चरण को छोड़ दे तो हर परीक्षा में
परीक्षा केंद्र दूर ही रहे। सैकड़ों किमी दूरी के कारण अभ्यर्थियों में
पहले से ही रोष व्याप्त है। जिस संबंध में मुख्यमंत्री से भी अभ्यर्थियों
ने गुहार लगाई थी।