(उदयपुर किरण). बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले हिमाचल के कई
शिक्षक खुद अनैतिक कार्यों में संलिप्त पाए गए हैं. अभी शिक्षा विभाग में
पोक्सो एक्ट के तहत आ रही शिकायतों को लेकर मचा बवाल थमा भी नहीं था कि एक
और मामले से विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं.
सचिवालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विभाग के दो शिक्षकों में
से एक ने 30 फरवरी तो दूसरे ने 29 फरवरी का टीए बिल का दावा किया है. 29
फरवरी का टीए दावा (क्लेम) सिर्फ लीप वर्ष में हो सकता है. हालांकि जिस साल
का टीए क्लेम किया वह लीप इयर नहीं था. 30 फरवरी का टीए क्लेम करने वाले
शिक्षक की जांच की फाइल भी सचिवालय से नदारद बताई जा रही है.
शिक्षा विभाग में हाल ही के सालों में न सिर्फ गैर शिक्षकों बल्कि
शिक्षकों के खिलाफ भी पोक्सो एक्ट को लेकर शिकायतें मिली हैं. आठ शिक्षकों
के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की पुष्टि विभाग के उच्च अधिकारी कर
रहे हैं. पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों को देखते हुए साफ है कि शिक्षक
संवेदनशून्य हो चुके हैं लेकिन अब चैंकाने वाला मामला तो टीए का सामने आया
है.
शिक्षा विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विभाग के एक शिक्षक
ने 30 फरवरी का टीए क्लेम किया. मामले की शिकायत सचिवालय में सरकार तक
पहुंची. शिकायत पर जांच भी शुरू हुई. विभागीय जांच के आदेश दिए गए लेकिन
जांच आगे कैसे बढ़े? इसे लेकर सरकार पसोपेश में है.
बताया जा रहा है कि 30 फरवरी के टीए क्लेम करने के मामले को लेकर जिस
फाइल में जांच के आदेश दिए गए वह ही गायब है. इसी तरह का एक और मामला विभाग
से जुड़ा सामने आया है. लीप वर्ष में फरवरी में 29 दिन होते हैं. इसके
बावजूद शिक्षक ने फरवरी 1998 में 29 तारीख का टीए क्लेम किया. बताया जा रहा
है कि शिक्षक ने पहले 29.12.1998 लिखा. फिर कुछ ध्यान में आने पर 12 से
पहले एक पर फ्लूड लगा दिया लेकिन अब वह जांच में घिरते दिख रहे हैं.