लीगल रिपोर्टर | जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अरुण भंसाली ने ग्रेड थर्ड अध्यापक
भर्ती- 2013 में संशोधित परिणाम के पश्चात वरीयता में नहीं आने पर पूर्व
में नियुक्त एवं कार्यरत अध्यापकों का वेतन
नियमितिकरण व स्थाईकरण नहीं
करने पर दायर याचिकाएं स्वीकार करते हुए वेतन स्थिरीकरण संबंधी व स्थाईकरण
संबंधी समस्त लाभ दो महीने में देने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता कृष्णा
वैरागी व अफतज व अन्य की ओर से दायर याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से
अधिवक्ता कैलाश जांगिड़ व टंवरसिंह राठौड़ ने पैरवी कर बताया कि याचिकाकर्ता
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2013 के अन्तर्गत वर्ष 2015 में चयनित
किए गए। तत्पश्चात इन्हें बाड़मेर जिले की विभिन्न पंचायत समितियों में
नियुक्तियां प्रदान की गई तथा इनके कार्यग्रहण से निरंतर तृतीय श्रेणी
शिक्षक पद पर कार्यरत है। अधिवक्ताओं ने कहा कि इस भर्ती परीक्षा के संदर्भ
में संशोधित परिणाम वर्ष 2017 में जारी किया गया, जिसके अन्तर्गत
याचिकाकर्ताओं द्वारा अपने वर्ग एवं विषय में संशोधित कट आॅफ से अधिक अंक
अर्जित नहीं किए गए, लेकिन सभी याचिकाकर्ता पूर्व में चयनित है, इस आधार पर
सेवा में निरंतर है।
पंचायती राज विभाग द्वारा एक दिसंबर 2017 को आदेश जारी किया कि जो
ग्रेड थर्ड अध्यापक पद भर्ती परीक्षा 2013 के अंतर्गत नियुक्त होने की तिथि
से जिन्होंने नियमानुसार दो वर्ष का परिवीक्षाकाल पूर्ण कर लिया है और
संशाेधित परिणाम के अनुसार भी सेवा में केवल उनका ही वेतन नियमितिकरण एवं
स्थाईकरण किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का वेतन नियमितिकरण एवं स्थाईकरण
संशोधित परिणाम में अधिक अंक अर्जित नहीं किए जाने के कारण नहीं किया जा
रहा है, जबकि सेवा में निरंतर कार्यरत है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई
के बाद याचिकाएं मंजूर करते हुए पूर्व में विज्ञप्ति वर्ष 2012 के संदर्भ
में आदेश संदीप कुमार विश्नोई व अन्य के आधार याचिकाकर्ताओं को वेतन
स्थिरीकरण संबंधी व स्थाईकरण संबंधी समस्त लाभ दो माह में दिए जाने के आदेश
दिए हैं।