जयपुर। पंचायती राज विभाग के ६५ हजार शिक्षक, विभाग की दोहरी नियमों की
मार झेलने पर मजबूर हैं। शिक्षा विभाग के दोहरे नियमों के चलते शिक्षकों को
वेतन के लिए एक-एक महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। शिक्षकों की सेवा
पुस्तिका तो एक अधिकारी के अधीन है, जबकि वेतन देने का काम दूसरे अधिकारी
के अधीन है। ऐसे में आपसी तालमेल में कमी व अन्य कारणों के चलते शिक्षकों
को भुगतना पड़ रहा है।
यह है पूरा मामला
साल की शुरुआत में नियमों में बदलाव कर विभाग ने पंचायती राज शिक्षक
(जिनके पीडी खाते यानी कि निक्षेप खाते हैं) के सेवा पुस्तिका पदेन
प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) को दे दी। जिससे शिक्षकों के नौकरी,
छुट्टी आदि सभी अधिकार पीइइओ के अधीन आ गए। शिक्षकों के वेतन बिल बनाने का
अधिकार पीइइओ को दिए गए, जबकि शिक्षकों के खाते में वेतन जमा कराने का काम
अभी भी बीइओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) के पास ही है। नियमों के इस दोहराव के
चलते पीइइओ वेतन के बिल बनाने में ढिलाई कर रहे हैं। वहीं बीइओ अपने खातों
से शिक्षकों के खातों में वेतन भेजने से पहले भी दो बार विचार कर रहे हैं।
ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों की सेवा पुस्तिका हमारे
पास नहीं होती। शिक्षक कब काम कर रहा है और कब छुट्टी ले रहा है। इसकी
जानकारी भी नहीं होती। मगर वेतन हमारे खातों से जाता है। यह वेतन नियमों के
भी खिलाफ है। वहीं पदेन प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि
शिक्षकों की मॉनिटरिंग का अधिकारी तो दे दिया है। मगर वेतन देने का अधिकार
नहीं है। ऐसे में कई बार परेशानी होती है।
- अलग-अलग नियमों के चलते शिक्षकों को कई महीने बीस दिन तो कई बार महीने
भर तक वेतन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। नियमों में सुधार होना चाहिए।
सेवा पुस्तिका पीइइओ कार्यालय से बीइओ कार्यालय में भेजी जानी चाहिए।
- नारायण सिंह, प्रवक्ता, राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ