नए सेशन में कॉलेज संचालन के नए नियम के कारण बीएड कॉलेजों के सामने संकट
खड़ा हो गया है। अब बीएड कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता एमएड
के साथ पीएचडी और नेट क्वालिफाइड हो गई है। अब तक एमएड होल्डर ही इन
कॉलेजों में टीचिंग की एलिजिबिलिटी रखते थे।
पीएचडी का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद बीएड कॉलेजों के शिक्षकों ने
पीएचडी शुरू तो कर दी, लेकिन उसे पूरा करने में समय लगेगा। ऐसे में कॉलेजों
को योग्यताधारी शिक्षक ही नहीं मिल पा रहे हैं। निरीक्षण का काम हाल ही
में शुरू हुआ है। ऐसे में इस साल मान्यता के मापदंड पर खरा उतरना कॉलेजों
के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। उधर, कॉलेज अब पहले ही अन्य कॉलेजों में नौकरी कर
रहे पात्रताधारी शिक्षकों को भी अपने कॉलेज में बताकर मान्यता की शर्त को
पूरा करने का तरीका अपना रहे हैं। उधर, कोटा यूनिवर्सिटी की डिप्टी
रजिस्ट्रार एकेडमिक डॉ. जोली भंडारी का कहना है कि अभी कॉलेजों के
इंस्पेक्शन शुरू ही हुए हैं। सभी कॉलेजों की रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति
स्पष्ट होगी।
ऑनलाइन सिस्टम नहीं
कॉलेजों में पढ़ा रहे योग्यताधारी शिक्षकों की जानकारी कोटा
यूनिवर्सिटी के पास नहीं है। कुछ जगहों पर ऑनलाइन सिस्टम होने के कारण
यूनिवर्सिटी को पता चल जाता है कि किस कॉलेज में कौनसा शिक्षक पढ़ा रहा है।
ऐसे में एक शिक्षक के एक से अधिक कॉलेज में पढ़ाने की स्थिति स्पष्ट हो
जाती है।