माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में थर्ड ग्रेड की शिक्षक भर्ती
परीक्षा REET-2018 का परिणाम घोषित किया। इस बार की थर्ड ग्रेड की शिक्षक
भर्ती परीक्षा का परिणाम छात्रों के लिए काफ़ी कम रहा। यह परीक्षा परिणाम
रीट-2016 परीक्षा से भी काफी कम देखने को मिला। रीट-2016 में यह 48 प्रतिशत
था जो सीधे-सीधे 13 फ़ीसदी गिर गया और 35 प्रतिशत ही रहा।
रीट-2018 परीक्षा में बैठे छात्रों की तरफ से बताया जा रहा है कि इस बार
रीट-2018 का प्रश्न पत्र गत रीट की परीक्षाओं के मुताबिक़ कठिन आया था। साथ
बताया जा रहा है कि रीट-2016 में प्रश्न पत्र सरल होने से इसका परिणाम 48
प्रतिशत रहा। इस बार का पेपर कठिन आने से 64 हज़ार विद्यार्थी ही परीक्षा
पास कर पाए हैं जिनके नंबर भी कम रीट-2016 के मुक़ाबले कम हैं ऐसे में
रीट-2016 के विद्यार्थीयों का चयन आसानी से होगा।
रीट की वैधता होती है 3 साल मान्य
आपको बता दें कि रीट की परीक्षा एक बार पास करने के बाद यह तीन साल तक
मान्य रहती है। विधार्थी रीट परीक्षा पास करने के बाद तीन साल तक भर्ती के
लिए मान्य होता है। ऐसे में अब रीट-2016 की परीक्षा वाले छात्रों की वैधता
2019 तक मान्य है। जो रीट-2016 की परीक्षा के 48 प्रतिशत परिणाम वाले
छात्रों के लिए भर्ती का अच्छा अवसर लिए होगी। वहीं टेट 2011 व 2012 की
वैधता भी सात साल की है, इस तरिके से अगर उन विद्यार्थियों के अंक ज्यादा
होने पर उन्हें शिक्षक नौकरी का अवसर पहले मिलेगा।
अभ्यर्थियों के साथ हो रहा है अन्याय
राज्य सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा को हटाकर रीट के नाम से मुख्य
परीक्षा करवा रही है। ऐसे में जो छात्र योग्य है वे पीछे रह गए हैं और अन्य
राज्यों के छात्र यहां नौकरी पा रहे है। रीट क परीक्षा में माइनस मार्किंग
भी नहीं है और साथ ही राजस्थान की G.K. को भी ख़ास प्राथमिकता नहीं दी है।
इस कारण अन्य राज्यों के छात्र इस परिक्षा में अव्वल रह कर आगे बढ़ रहे है।