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शिक्षा विभाग ने शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए शिक्षकों पर सख्ती दिखाई

पाली। सरकारी स्कूलों की शिक्षा में गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाई है। अब सरकारी स्कूलों के शिक्षक पासबुक की मदद से विद्यार्थियों को पढ़ा नहीं सकेंगे। इसके लिए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक की ओर से आदेश जारी किए गए है। अब शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने व विद्यार्थियों में विषय की समझ विकसित करने के प्रति कटिबद्ध हो रहा है।

विभाग का यह प्रयास है कि विद्यार्थी स्टन्त प्रणाली को छोड़कर विभिन्न विषयों की मूल अवधारणा व संकल्पना को समझे, जिससे न केवल परीक्षाओं में बेहतर परिणाम हासिल कर सके बल्कि व्यावहारिक रूप से इस ज्ञान का उपयोग भी कर सके।इसी को देखते हुए अब प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में पासबुक्स का प्रयोग वर्जित कर निर्देश दिया गया है कि स्कूल समय में किसी शिक्षक व विद्यार्थी के पास पासबुक्स मिली तो संबंधित शिक्षक व विद्यार्थी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
स्कूलों में कई शिक्षक पाठ्यक्रम जल्द समाप्त करवाने के चक्कर में प्रामाणिक संदर्भ पुस्तकों का प्रयोग करने के बजाए पासबुक्स से पढ़ाते है। शिक्षकों को देख कर विद्यार्थी भी पासबुक्स से ही पढ़ते है। इस पासबुक्स का सबसे अधिक प्रयोग कक्षा 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षक करते है।
इसलिए उठाया कदम
विभाग ने यह कदम कुछ समय पहले सरकारी स्कूलों स्तर को जांचने के लिए नेशनल एचीवमेंट सर्वे(एनएएस), स्टेट लेवल एचीवमेंट सर्वे(एसएलएएस) सहित अन्य संस्थाओं की ओर से गुणात्मक उपलब्धि सर्वे में विद्यार्थियों के आए परिणाम में कम अंक आने पर यह कदम उठाया गया है। ऐसे में सर्वे में विद्यार्थियों के विषयगत ज्ञान, समझ, कौशल व व्यावहारिक उपयोग पर आधारित प्रश्न होते है।

शिक्षक पाठ्यपुस्तक में पढ़ाए जाने वाली विषयवस्तु से संबंधित स्वरचित प्रश्नों का अब शिक्षकों को अधिकाधिक अभ्यास करवाना है। जिससे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बढ़ने के साथ ही सर्वे में स्कूलों के स्तर में बढ़ोतरी हो सके।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक के आदेश- स्कूलों में शिक्षकों की ओर से पासबुक्स से पढ़ाने पर विभाग करेगा कार्रवाई
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