अजमेर।
राजस्थान लोक सेवा आयोग इस साल बेरोजगार हो सकता है। दो साल से भर्ती
परीक्षाओं का कलैंडर नहीं बना है। नई भर्तियों का अता-पता नहीं है। पूर्व
हुई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के विवाद, आरक्षण संबंधित परेशानियों को देखते
हुए आयोग की राह आसान नहीं होगी।
राजस्थान लोक सेवा आयोग आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा सहित
कॉलेज लेक्चरर, स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा, कृषि, कारागार, कनिष्ठ
लेखाकार और अन्य भर्ती परीक्षाएं कराता रहा है। कार्मिक विभाग, संबंधित
विभाग और सरकार से अभ्यर्थना, पदों का वर्गीकरण मिलने के बाद आयोग भर्ती
परीक्षाओं का आयोजन करता है।
साथ ही भर्ती परीक्षाओं का कलैंडर भी तय करता है। लेकिन कई मामलों में आयोग की परीक्षा तिथियां कलैंडर संघ लोक सेवा आयोग , विश्वविद्यालयों और अन्य एजेंसी से टकराती है। इसके चलते परीक्षा कराने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विवादों के साए में परीक्षाएं...
राज्य सरकार ने
आयोग का गठन सिर्फ आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा कराने के लिए किया
था। तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2005-06 से इसे तृतीय श्रेणी शिक्षक
भर्ती परीक्षा का काम
सौंपा। इसके बाद प्रथम और द्वितीय श्रेणी स्कूल व्याख्याता, कृषि, कारागार,
मेडिकल, तकनीकी शिक्षा, पुराततत्व एवं संग्रहालय विभाग और अन्य महकमों की
भर्तियां भी आयोग को सौंपी गई। कुछेक परीक्षाओं को छोड़कर आयोग को अधिकांश
में परेशानियां झेलनी पड़ी हैं।
अध्यक्ष आए तो भर्तियां नदारद...
सरकार ने पिछले
साल दिसम्बर में डॉ. आर. एस. गर्ग को स्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया था। इससे
यह उम्मीद बंधी की सरकार आयोग को नई भर्तियां भी सौंपेगी। लेकिन डेढ़ महीने
बाद भी भर्तियों का अता-पता नहीं है। नियमानुसार आयोग के सबसे वरिष्ठतम
सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जाता रहा। पिछले साल सरकार ने किसी
वरिष्ठ सदस्य को विधिवत कार्यभार नहीं सौंपा।
जबकि राज्यपाल, हाईकोर्ट, राजस्व मंडल की तरह संवैधानिक संस्था होने के
नाते यहां अध्यक्ष पद कभी खाली नहीं रह सकता है। मालूम हो कि स्थाई अध्यक्ष
नहीं होने से आयोग की निर्धारित भर्ती परीक्षाएं और तकनीकी मामले उलझे
पड़े रहते हैं।