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तैयारी के लिए पैसे नहीं थे, पिता ने कपड़े खरीदने में की कटौती, पुलिसकर्मी मामा बने सहारा, सुरेश को पहली और अंजू को दूसरी रैंक

सरकारी स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद शिक्षक भर्ती की तैयारी के लिए घरवालों के पास इतने पैसे नहीं थे कि महंगी कोचिंग संस्थाओं में प्रवेश ले सके। लेकिन नागौर ग्रामीण प्रतिभाओं ने इस स्थिति को अपने संघर्ष के सामने बोना साबित कर दिखाया है।


राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर की ओर से मंगलवार को जारी वरिष्ठ शिक्षक ग्रेड सैकंड भर्ती के सामाजिक विज्ञान विषय के परिणाम में मकराना तहसील के बाजोली निवासी किसान के बेटे सुरेश चौधरी ने प्रदेश में प्रथम रैंक हासिल की है। दूसरी रैंक पर अलाय गांव निवासी किसान खेमाराम जांगू की बेटी अंजू चौधरी ने कब्जा जमाया है। किसान पिता ने उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए कपड़ों तक में कटौती की। सुरेश व अंजू दोनों वर्तमान में ग्रामसेवक की ट्रैनिंग ले रहे हैं। उनके परिवार व उनके लिए परिणाम खुशी लेकर आया है।

अध्यापक ग्रेड द्वितीय के सामाजिक विज्ञान के परिणाम में नागौर की प्रतिभाओं का रहा दबदबा

पहले प्रयास में चूके, फिर 8 घंटे पढ़ाई कर हासिल की पहली रैंक

पिता खेती करते हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। शुरुआत से ही पाली में मामाजी रेखाराम के पास पढ़ाई की। वे पुलिस में हैं। ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में 0.47 अंक से पीछे रह गया। लेकिन हार नहीं मानी। रोज 8 घंटे पढ़ाई की। पहले ग्रामसेवक पद पर चयन और अब ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती में प्रथम रैंक मिली। सफलता श्रेय मामाजी रेखाराम, पिताजी भंवरलाल और अन्य सदस्यों को देता हूं। जिन्होंने पढ़ने का मौका दिया। अब मैं आरएएस की तैयारी करूंगा।- सुरेश चौधरी

अंजू के पिता खेमाराम जांगू कहते हैं- आर्थिक हालात अच्छे नहीं हो तो नए कपड़े पहनने से पहले पढ़ाई जरूरी है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में बेटियों की पढ़ाई को तवज्जो दी। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए परिवार के सदस्यों के कपड़े खरीदने तक में कटौती की। अंजु का पहले ग्रामसेवक पद पर चयन हुआ। 10 दिन पहले तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2016 के परिणाम में 26वीं रैंक हासिल की। अब ग्रेड सैकंड शिक्षक में दूसरी रैंक मिली। अंजू का कहना है कि तैयारी के दौरान डेंगू के कारण परेशान रहीं, लेकिन हार नहीं मानी।

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