अलवर. प्रदेश में युवाओं को सरकारी नौकरियों का पिटारा खुलने का इंतजार है। प्रदेश में लाखों युवा सरकारी नौकरी निकलने की आस में दिन-रात एक करके प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
इस
बार लोकसभा उपचुनाव में तीनों सीटों पर युवाओं ने सरकार के खिलाफ नौकरियां
नहीं देने पर रोष जताया। इस रोष के चलते युवाओं ने सरकार से सीधा
सवाल-जवाब भी किया और प्रदर्शन भी किए।
राजस्थान एकीकृत बेरोजगार एकीकृत
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि यदि सरकार ने समय रहते
सरकारी नौकरियां नहीं निकाली तो विधानसभा चुनाव में युवाओं का रोष आगामी
विधानसभा चुनावों में भी सरकार को सबक सिखाएगा। सरकार को सरकारी नौकरियों
के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
यह है सरकारी नौकरियों की स्थिति
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने 2013 में कनिष्ठ लिपिक के पदों पर 6 हजार
पदों की भर्ती निकाली। इसमें परीक्षा के बाद जिला आवंटन हुआ लेकिन अभी तक
नियुक्तियां नहीं दी गई। इसकी फाइल अटकी पड़ी है। विधालय सहायक के 33 हजार
पदों का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। यहां सरकार सरकारी वकील ही
नहीं भेज रही है जिसके कारण निर्णय में देरी हो रही है। पंचायत राज विभाग
में कनिष्ठ लिपिक के पदों पर 9 हजार 200 पदों पर 2013 की भर्ती अटकी हुई
है।
हजारों पद रिक्त
सरकारी विभागों में अब नौकरियों के लिए रिक्त स्थान निकालकर भर्ती
परीक्षा लेना कई विभागों में तो बहुत कम हो गया है। विद्युत निगम हो या
जलदाय विभाग, इनमें तकनीकी पदों पर ही भर्ती नहीं की जा रही है। शिक्षा
विभाग में ही शिक्षकों के 26 हजार पद रिक्त हैं। प्रदेश में यदि सभी विभागो
में देखा जाए 50 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ की जा
सकती है।
रीट शिक्षक भर्ती परीक्षा
2016 का परिणाम आ गया लेकिन उन्हें नियुक्ति तक नहीं दी। जेल प्रहरी के
925 पदों पर 2015 में प्रक्रिया प्रारम्भ हुई इसका परीक्षा परिणाम अभी तक
नहीं आया है। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग में एएनएम व जीएनएम के 12 हजार
600 पदों पर 2013 में प्रक्रिया प्रारम्भ हुई जिसका निस्तारण अभी तक नहीं
हुआ है। 2016 में पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक के पदों पर 2016 में
भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ हुई लेकिन अभी तक प्रक्रिया अटकी हुई है।