राज्य सरकार द्वारा भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं व पूर्व कार्यकर्ताओं के
रिश्तेदारों व निजी लोगों के तबादला प्रस्ताव मांगे जाने के साथ ही जिले
में भी इसे लेकर गहमागहमी शुरू हो गई है। शिक्षक तबादले के उस फार्मेट को
ढूंढ रहे हैं जो राज्य सरकार ने जारी किया है।
दरअसल इस फार्मेट की जरूरत उन शिक्षकों को नहीं है जो तबादला कराना
चाहते हैं, फार्मेट तो उस जनप्रतिनिधि अथवा पदाधिकारी या कार्यकर्ता को
चाहिए जो तबादले के लिए नाम आगे सरकार को भेजेगा। इधर, पदाधिकारियों द्वारा
कई शिक्षकों को यह कहकर टरकाया जा रहा है कि आप फार्मेट में नाम भरकर लाओ,
तब आपका नाम आगे भेजा जाएगा। सरकार से नाराज कुछ शिक्षकों का कहना है कि
यह नीति तो सरासर गलत है। सरकार तबादलों को खुलेआम पार्टी से नहीं जोड़
सकती। ऐसे में तो उन शिक्षकों को नुकसान होगा जो भाजपा से संबंध नहीं रखते
हैं और किसी अन्य दल से संबंध रखते हैं। शिक्षकों ने इस नीति का भी विरोध
जताया है।