जयपुर । राजस्थान में चाहे सरकारी
कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती का मामला हो, या प्रदेश के सरकारी
विश्वविद्यालयों में यूजीसी से शोध अनुदान का मामला हो, सभी मामलों में
राजस्थान पिछड़ रहा है।
राजस्थान विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में
उच्च शिक्षा विभाग ने सदन को जानकारी दी है कि कॉलेज शिक्षा में राजकीय
महाविद्यालयों में शिक्षकों के 6219 पद स्वीकृत है लेकिन वर्तमान में 2284
पद रिक्त हैं। वहीं प्रदेश में कॉलेज शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात
जनवरी, 2014 में 70 (छात्र) -01 (शिक्षक) था लेकिन वर्तमान में 2017-18 में
97 (छात्र) - 01 (शिक्षक) है।
यूजीसी से अनुदान की स्थिति भी खराब
राजस्थान
में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन संचालित 12 राज्य वित्त पोषित
विश्वविद्यालयों में से सिर्फ 5 विश्वविद्यालयों को यूजीसी से अनुदान मिल
रहा है।
वहीं वर्ष 2012 में सीकर, अलवर, भरतपुर एवं बांसवाडा में
नवस्थापित विश्वविद्यालयों में शोध कार्य प्रारम्भ नहीं होने और इन्हें
यूजीसी अधिनियम की धारा 12 (बी) के तहत मान्यता नहीं मिलने के कारण शोध
अनुदान नहीं मिल रहा है। प्रदेश में संचालित क़ृषि विश्वविद्यालयों को भी
यूजीसी से शोध अनुदान नहीं मिल रहा है। इन्हें आईसीएआर से अनुदान मिलता
है।
उच्च शिक्षा विभाग ने सदन को जानकारी दी है कि जय नारायण व्यास
विश्वविद्यालय जोधपुर में अगस्त 2014 से शोध कार्य का आवेदन ही प्रस्तुत
नहीं किया गया है। इसी तरह बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में
वर्ष 2003 से, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर में वर्ष 2014-15 से
शोध कार्य का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। इसके चलते शोध कार्य का अनुदान
नहीं मिल रहा है। जबकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर
में वर्ष 2012 से, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर में वर्ष 2012
से, गोविंद गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा में वर्ष 2012 से शोध
कार्य ही शुरू नहीं हुआ है। इसके चलने अनुदान तो मिलना दूर की बात है।
जबकि
प्रदेश की एक मात्र राजस्थान तकनीकी यूनिवर्सिटी,कोटा को यूजीसी अधिनियम
की धारा 12 (बी )के तहत मान्यता नहीं मिलने के कारण भी अनुदान नहीं मिल पा
रहा है। इसी तरह जगदगुरू रामानांदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय,
जयपुर को बी यूजीसी अधिनियम की धारा 12 (बी ) के तहत मान्यता नहीं मिलने के
कारण यूजीसी से शोध अनुदान नहीं मिल पा रहा है।