आरोपी यह कहकर बचने का प्रयास कर सकता है (या उसे बचाया जा सकता है) कि वह किसी को परीक्षा दिलवाने आया था। तो फिर उसे पकड़ा क्यों। मौके से मिली दूसरी कार के मालिक को इसी जवाब के कारण छोड़ा क्यों।
शिक्षक की कार में लैपटॉप, ब्लूटूथ व प्रिंटर का मिलना महज इत्तेफाक नहीं हो सकता
पहले दिन इंडस्ट्रियल एरिया थाना प्रभारी ने यह सच भी छिपाया कि मामले में किसी को पकड़ा है, जबकि भास्कर ने उसी दिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मौके से भागते हुए गिरे एक आरोपी के पकड़े जाने की खबर छापी थी
शिक्षक पप्पूसिंह को पकड़ा, शांतिभंग के आरोप में जेल भेजा, पुलिस ने पूछताछ क्यों नहीं की? और पूछताछ की तो उसके आधार पर अब तक बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की? वे कौन लोग थे और क्यों भागे? आरोपी के खिलाफ अब तक शांतिभंग का आरोप ही।
आखिर लैपटॉप में ऐसा क्या है कि पुलिस की साइबर टीम तीन दिन बाद भी उसका डेटा खंगालने का प्रयास करने की बात ही कर रही है?
मौके पर ही पप्पूसिंह की फोर्ड फिगो के साथ पकड़ी गई दूसरी कार होंडासिटी जोधपुर के ही किसी ओमाराम पटेल के नाम रजिस्टर्ड है। उसे इस आधार पर छोड़ा कि वह किसी को परीक्षा दिलाने आया था। जैसा कि पुलिस ने कहानी बताई दोनों कारें स्कूल के पिछवाड़े सुनसान जगह खड़ी थी। पुलिस ने उसकी विस्तृत जांच क्यों नहीं की?