Important Posts

Advertisement

निजीकरण की क्या दरकार, जवाब दे सरकार‘स्कूलों की नीलामी’ पर उबाल

सीकर. सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर दिए जाने के विरोध में बुधवार को शिक्षकों के साथ अभिभावकों का आक्रोश भी उबाल खा गया। जिलेभर से पहुंचे अभिभावकों ने राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के बैनर तले पहले डाक बंगले में सभा कर हुंकार भरी।
बाद में सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गूंज के बीच कलक्ट्रेट तक रैली निकाली। हाथ में ‘स्कूलों की नीलामी बंद करो’ और ‘शिक्षा का बाजारीकरण बंद करो’ सरीखे स्लोगन लिखी तख्तियां और मुंह से निकलते तल्ख नारे लगाते शिक्षक और अभिभावक इस दौरान कल्याण सर्किल का चक्कर लगाते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे।

जहां भी सरकार की पीपीपी मोड की नीति के खिलाफ नारेबाजी कर जमकर गुबार निकाला। सरकारी नीति के खिलाफ हाथ उठाकर नारे लगाते लोगों का गुस्सा यहां उनकी आंखों में साफ देखा जा सकता था। प्रदर्शन काफी देर तक चला। जिसके बाद मुख्यमंत्री के नाम चेतावनी भरा ज्ञापन कलक्टर को सौंपा गया। जिसमें पीपीपी मोड का फैसला वापस नहीं लेने पर आंदोलन को जन आंदोलन बनाकर चुनावी साल में सरकार को पटखनी देने की चेतावनी दी गई।

प्रदर्शन में दानसिंह बीरड़ा, विद्याधर पिलानियां, हंसराज पूनिया, सुभाष ढाका, पोखर मल, श्रवण थालौड़, रामचंद्र सिंह मूंड, रामप्रताप मूंड, सुमन भानुका, संतोष ढाका और संतोष वर्मा समेत काफी संख्या में अभिभावक और शिक्षक शामिल हुए। जिसमें खास बात काफी संख्या में महिलाओं की मौजूदगी भी रही।

आज हम, कल सरकार होगी सडक़ पर
कलक्ट्रेट पर पहले डाक बंगले में आयोजित सभा में वक्ताओं ने सरकार की नीतियों पर खूब आक्रोश जताया। शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश मंत्री उपेन्द्र शर्मा ने सवाल उठाया कि सरकार जब सरकारी स्कूलों के नामांकन, हालात और परीक्षा परिणाम सुधरने का दावा कर रही है, तो ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्हीं स्कूलों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है? कहा कि चुनावी साल में सरकार की नीयत इस नीति से साफ संदिग्ध लग रही है। यदि सरकार जल्द नहीं चेती तो आज शिक्षक और अभिभावक सडक़ पर है, लेकिन अगली साल सरकार उनकी जगह सडक़ पर होगी।

जिला मंत्री विनोद पूनियां ने कहा कि सरकार को या तो यह फैसला वापस लेना होगा या 27 दिसंबर को प्रदेशस्तरीय आंदोलन का सामना करना होगा। उन्होंने सरकार को अपनी जिम्मेदारियों से बचने वाली भ्रष्ट और निरंकुश सरकार करार दिया। पीपीपी मोड का फैसला वापस नहीं लेने पर आंदोलन को गांव- ढाणियों तक में संपर्क के जरिए जन आंदोलन बनाने की भी बात भी वक्ताओं ने सभा में कही। आंदोलन को रोडवेज यूनियन और अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासभा ने भी समर्थन दिया।

सडक़ पर लगा जाम
प्रदर्शन के दौरान कलक्ट्रेट रोड पर लंबा जाम लग गया। प्रदर्शनकारियों के हुजूम के बीच करीब एक घंटे तक के लिए यातायात प्रभावित रहा। वाहन रैंगते नजर आने लगे। लोग काफी देर तक वाहनों में फंसे नजर आए।

सरकार का यह तर्क सुविधा बढ़ाना है मकसद
राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश की कई स्कूलों की अच्छी लोकेशन पर होने के बाद भी नामांकन काफी कम है। इसलिए सरकार भी इन स्कूलों में सुविधाएं नहीं बढ़ा पा रही है। इसलिए प्रदेश की 300 स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर देने का निर्णय किया है। पीपीपी मॉडल पर निजी संस्था से एमओयू होने के बाद स्कूल का संचालन भी निजी संस्था करेगी। सरकार का दावा है कि निजी संस्थाओं के संचालन के बाद भी विद्यार्थियों से कोई फीस नहीं ली जाएगी। संस्थाओं को मिलनी वाली राशि से स्कूलों में सुविधा बढ़ोतरी की जाएगी।

पीपीपी मोड पर स्कूल देने का विरोध

सीकर. छात्र संगठन एसएफआई की ओर से सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने का विरोध किया जाएगा। जिला संयुक्त सचिव अनिल खीचड़ व प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष जाखड़ ने बताया कि इस संबंध में बुधवार को बैठक की गई। पीपीपी मोड के विरोध में आंदोलन करने पर चर्चा की गई।

UPTET news

Recent Posts Widget

Photography