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जेएनवीयू में शिक्षक भर्ती के नाम पर फिर रचा नया खेला, कुलपति पर गिर सकती है ये गाज

जोधपुर . प्रदेश में काले कानून के तहत एक आरटीआई कार्यकर्ता ने जयनारायण व्यास विश्वद्यिालय के कुलपति प्रो. रामपाल सिंह पर मुकदमा दर्ज करवाने के लिए कुलाधिपति व राज्यपाल कल्याण सिंह से अनुमति मांगी है।
कुलपति प्रो. सिंह पर हाल ही में विवि की ओर से निकाली गई इंजीनियरिंग और सामान्य संकाय में करीब २०० शिक्षकों की भर्ती में रोस्टर और विज्ञापन में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है। कुलपति के साथ कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव सुनील शर्मा और रोस्टर कमेटी के सदस्यों पर भी एफआईआर दर्ज करने की अनुमति चाही है। प्रदेश में काला कानून के अंतर्गत संभवत: यह पहला मामला है। वैसे काले कानून के संबंध में जारी अध्यादेश की समय सीमा चार दिसम्बर को समाप्त हो रही है।

आरटीआई कार्यकर्ता ओमप्रकाश भाटी ने राजभवन से कुलपति डॉ. रामपालसिंह, सहित इस शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में शामिल विवि के अन्य कार्मिकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में एफ आईआर दर्ज करवाने, न्यायालय में मुकदमा/इस्तगासा दायर करने की अनुमति दण्ड प्रक्रियां संहिता की धारा 197 के तहत व वर्तमान में राज्य सरकार से जारी अध्यादेश, दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2017 के तहत अनुमति मांगी है।

यह है मामला

भाटी ने बताया कि उन्होंने विवि की ओर से कथित तौर पर किए जा रहे घोटालों की बिन्दुवार, समाचार पत्रों में प्रकाशित कटिंग्स सहित उच्च शिक्षामंत्री किरण माहेश्वरी को स्वयं मिल कर संपूर्ण जानकारी दी। इसके अलावा राजभवन, कार्मिक विभाग व उच्च शिक्षा विभाग को भी कई पत्र लिखे। परन्तु कोई कार्रवाई नहीं हुई।

असली रोस्टर रजिस्टर गायब करवा दिया : भाटी


भाटी के अनुसार कुलपति ने फ र्जी रोस्टर कमेटी के सदस्यों के साथ मिल कर सामान्य संकाय की शिक्षक भर्ती से संबंधित असली रोस्टर रजिस्टर गायब करवा दिया और उसके स्थान पर नकली रोस्टर रजिस्टर राजभवन व राज्य सरकार को सौंपकर गुमराह कर के धोखाधड़ी की। इतना ही नहीं, इसके बाद कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव सुनील शर्मा भी विवि प्रशासन के साथ मिल कर गए और बिना नियमों व विधिवत रोस्टर का परीक्षण किए एक पत्र संयुक्त शासन सचिव, राजस्थान सरकार, कार्मिक (क-2) विभाग, जयपुर पत्रांक:- 1(2)कार्मिक/क-2/2017 पार्ट, जयपुर दिनांक:- 05/10/2017 विवि को भेज कर नकली रोस्टर को सही बता दिया। इसी पत्र का हवाला देकर विवि ने १० अक्टूबर को एक बार फि र से संशोधित विज्ञापन जारी किया। इस विज्ञापन में भी राज्य सरकार के रोस्टर व बैकलॉग नियमों की धज्जियां उड़ाई गर्इं। इसके अलावा एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग, महिला व अन्य के हितों पर कुठाराघात भी किया है। इस पत्र के संबंध में कार्मिक विभाग से सूचना मांगने पर, विभाग ने आरटीआई उच्च शिक्षा विभाग को भेज दी। उच्च शिक्षा विभाग मामला कार्मिक विभाग से संबंधित बता रहा है। इस प्रकार से इस पत्र से कार्मिक व उच्च शिक्षा दोनों ही विभाग कन्नी काट रहे है। अब इस पत्र के अस्तित्व पर ही संशय पैदा हो रहा है।

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