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18 साल पहले लगे पैराटीचर, अध्यापक पद पर नियुक्ति नहीं, 2 साल बाद होंगे रिटायर

भास्कर संवाददाता|श्रीगंगानगर 18 साल से न्याय के लिए भटक रहे पैराटीचर को विभाग अपना कर्मचारी ही नहीं मान रहा। इसके चलते पीड़ित कर्मचारी ने अदालत की शरण ली है। अदालत ने नियुक्ति के आदेश दिए, लेकिन शिक्षा विभाग आदेशों की पालना नहीं कर रहा।
प्रबोधक भर्ती-2008 वंचित अभ्यर्थी संघर्ष समिति के संयोजक जगदीशराय कासनिया के अनुसार शिक्षा विभाग ने राज्य में एक जुलाई 1999 में राजीव गांधी पाठशालाओं में बड़ी संख्या में पैराटीचर्स की भर्ती की थी। इन्हीं पैराटीचर्स की सेवाएं आगे जारी रखते हुए 2008 में प्रबोधक पद पर नियुक्ति दी गई।

अनेक पैराटीचर्स को शिक्षा विभाग ने आयु अधिक मानते हुए प्रबोधक भर्ती से वंचित कर दिया था। इस पर प्रबोधकों ने हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने 1999 में राजीव गांधी पाठशाला में चयनित पैराटीचर को नियुक्ति के आदेश दिए। इसी निर्णय को समेकित करते हुए कासनिया ने याचिका लगाई। इस पर कार्ट ने 29 जुलाई 2013 को पुन: अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया।

2019में रिटायरमेंट, अभी नियुक्ति के लिए भटक रहे :इसके बाद राज्य सरकार ने 3 दिसंबर 2014 को जगदीशराय कासनिया बनाम सरकार में पालना स्वीकृति जारी की।

कासनिया के मामले में अदालत के आदेश के तीन साल बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) आदेशों की पालना नहीं कर रहे। जिला परिषद के सीईओ ने इस संबंध में डीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस पर डीईओ ने सीईओ को जवाब दिया कि पद रिक्त नहीं था। सीईओ ने पद आवंटन के प्रस्ताव मांगे हैं। जगदीश राय मार्च 2019 में रिटायर हो जाएंगे, जबकि वे अभी नियुक्ति के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

सरकार स्वीकृति देगी तो मिलेगी नियुक्ति

अध्यक्षजिला शिक्षा अिधकारी (प्रारंभिक) रमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि जगदीश कासनिया की जन्मतिथि को लेकर भी विवाद है। वहीं नई भर्ती भी नहीं हो रही। सरकार का आदेश आएगा तो पालना स्वीकृति के तहत खाली जगह पर नियुक्ति दे दी जाएगी। 

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