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आदेश फिर भी नहीं कर रहे स्थायीकरण : तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2012

जालोर. जिला परिषदों के माध्यम से वर्ष 2012 में लगे तृतीय श्रेणी शिक्षकों को अब तक स्थायी करने के आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को सरकारी सेवा में रहने के दौरान मिलने वाले कई फायदों से वंचित होना पड़ रहा है। वहीं स्थायीकरण नहीं होने से नौकरी को लेकर भी चिंता सताने लगी है।
हालांकि, तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2012 के शिक्षकों के स्थायीकरण करने को लेकर २७ फरवरी को प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने पंचायती राज विभाग की सहमति से आदेश जारी किए थे, लेकिन अधिकारी अधिकारी आदेश की मनमर्जी से व्याख्या कर रहे हैं। ऐसे में अब तक प्रदेशभर में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को स्थायीकरण का इंतजार है। जबकि, इस सम्बंध में सभी जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रारम्भिक शिक्षा के जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए कर स्पष्ट किया गया था कि विभिन्न न्यायालयों के आदेश की पालना में संशोधित परिणाम के बाद भी जो शिक्षक सेवा में बने रहेंगे,उनके स्थायीकरण के  आदेश जारी किए जाएं। लेकिन अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
हो रहे वंचित
स्थायीकरण नहीं होने से शिक्षकों को सरकारी परिलाभ भी नहीं मिल रहे हैं। इन शिक्षकों को मेडिकल व पी.एल. का भी फायदा नहीं मिल रहा है। जबकि, दो साल का परिवीक्षाकाल पूरा हुए करीब ढाई साल गुजर चुके हैं।
यह था मामला
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा-२०१२ की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर सितम्बर-२०१२ में नियुक्ति दी गई थी। लेकिन बाद में मामला कोर्टमें चला जाने से सरकार ने नियमितिकरण/ स्थायीकरण का आदेश जारी नहीं किया था।  हालांकि, सरकार ने मार्च-२०१६ से नियमित वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए थे। अब स्थायीकरण करने के आदेश जारी कर दिए हैं, फिर भी स्थायीकरण नहीं किया जा रहा है।
इनका कहना है...
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2012 के शिक्षकों के स्थायीकरण करने आदेश मिला था। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के बाद आगामी कार्यवाही की जाएगी।
-हरिराम मीणा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, जालोर
शिक्षकों का परिवीक्षाकाल सितम्बर २०१४ में पूरा हो चुका है। लेकिन करीब ढाई साल गुजर जाने के बावजूद  स्थायीकरण नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों की ओर से भी संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया जा रहा है। हाल ही में विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है, लेकिन अधिकारी आदेश की मनमानी व्याख्या कर मामले को लटका रहे हैं।
-ईश्वरलाल शर्मा, कर्मचारी नेता

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