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मुफ्त के शिक्षकों से सेवानिवृतों को भूला विभाग

शिक्षाविभाग की ओर से बीएसटीसी बीएड के प्रथम द्वितीय वर्ष के अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण सरकारी स्कूलों में कराने के आदेश के बाद अब विभाग सेवानिवृत शिक्षकों को भूल चुका है।
तीन माह पहले विभाग की से जिले में 1502 शिक्षकों के पद भरने के लिए सेवानिवृत शिक्षकों से आवेदन मांगे गए थे। लेकिन निशुल्क ही शिक्षक मिल चुके हैं। ऐसे में विभाग ने फिलहाल सेवानिवृत शिक्षकों को स्कूलों में लगाने पर रोक लगा दी है। जानकारी के अनुसार पिछले कई सालों से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण विभाग के साथ ही विद्यार्थियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से 1520 तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पदों को भरने के लिए सेवानिवृत शिक्षकों को लगाने का निर्णय लिया गया। इसमें वैर में 121, नदबई में 112, सेवर में 228, रूपवास में 176, कामां में 151, डीग में 53, बयाना में 200, पहाड़ी में 177, कुम्हेर में 127, नगर में 175 शिक्षकों के खाली पदों पर सेवानिवृत शिक्षकों को लगाकर उनकी ग्रेड के अनुसार वेतनमान देना तय किया गया। नवंबर माह के प्रथम सप्ताह तक विभाग की ओर से इन शिक्षकों से आवेदन लिए गए। लेकिन इसी माह विभाग ने बीएड बीएसटीसी के अभ्यर्थियों से सरकारी स्कूलों में पढाने कराने का निर्णय लिया। लेकिन अभी आवेदनों को स्वीकृत नहीं किया गया है। अब सरकारी स्कूलों में हालत यह हो गई है कि आवश्यकता से अधिक अभ्यर्थी पहुंच चुके हैं।

25 तक जारी होगी प्रथम वर्ष की सूची

प्रारंभिकशिक्षा विभाग की ओर से बीएड एसटीसी प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की सूी 25 जनवरी तक जारी की जाएगी। इसके लिए विभाग की ओर से सूची बनाने का काम किया जा रहा है। प्रथम वर्ष के करीब 2500 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के लिए स्कूलों का आवंटन किया जाना शेष रहा है।

बीएड बीएसटीसी अभ्यर्थी नहीं जाना चाहते दूर

प्रारंभिकशिक्षा विभाग की ओर से बीएड बीएसटीसी प्रथम वर्ष के अभ्यर्थियों को सरकारी स्कूलों का आवंटन किया जा चुका है। द्वितय वर्ष के अभ्यर्थियों की सूची 26 जनवरी से पहले निकाली जाएगी। अभ्यर्थियों ने बताया कि शिक्षा विभाग ने प्रशिक्षण कराने के आदेश तो दिए हैं, लेकिन इससे सबसे बड़ी परेशानी यह बढ़ी है। सभी को पास के स्कूलों में नहीं लगाया जा सकता है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को दूसरे ब्लॉक तक में पढाने जाना पड़ रहा है। इससे समय के बाद आर्थिक परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है। इन सबके बाद भी सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी तो हमेशा ही खलती रहेगी। जिनकी पूर्ति करना जरूरी है। 

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