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गुरुओं से सरस्वती की बजाय लेनी पड़ रही है 'लक्ष्मी', घर से दूर रह रहे छात्र बेहाल

जयपुर। नोटबंदी के कारण अपने गांव, घर, शहर से दूर हॉस्टल्स और पीजी में रहने वाले विद्यार्थी बेहद परेशान हैं। हाल ये है कि अब कुछ छात्र सामान्य खर्चों के लिए अपने शिक्षकों से पैसे उधार मांग रहे हैं। कई शिक्षक छात्रों को मदद भी कर रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि उनके पास भी नगदी की समस्या है लेकिन यथासंभव मदद कर रहे हैं।
वहीं कई छात्राओं की स्थिति एेसी है कि खर्च चलाने के लिए 100 से 300 रुपए तक नहीं बचे हैं। प्रदेश के सबसे बड़े राजस्थान विवि के कैम्पस मंें ही 11 हॉस्टल हैं। यहां दो एटीएम भी हैं लेकिन पैसे आते ही कुछ लोग खासकर बाहर के लोग आकर पैसे ले जाते हैं। एेसे में पिछले दिनों की तुलना में छात्र अब ज्यादा दिक्कतें झेल रहे हैं।
परेशानी....विद्यार्थियों की जुबानी
कैम्पस स्थित बैंक में मेरा खाता है। पिछले पांच दिन से वहां चक्कर लगाने के बावजूद पैसे नहीं मिले हैं। जब भी जाते हैं तो एक ही जवाब मिलता है कि नकदी नहीं है। जबकि परिसर में दो एटीएम हैं। चार घंटे खड़े रहने के बावजूद वहां न तो सुरक्षा और न ही नकदी मिलने की गारंटी है।
- सुषमा श्योराण, पीजी छात्रा
घर से दूर रहने वाले कई हॉस्टल छात्रों को इस समय परेशानी है। पहले तो पैसे की जरूरत होने पर दोस्तों से मदद लेते थे लेकिन अभी हर किसी की स्थिति एक जैसी है। एेसे में सभी जैसे तैसे अपना काम चला रहे हैं।
- होशियार सिंह, राजस्थान विवि
हॉस्टल के कई छात्र-छात्राएं तो एेसे हैं जिनके पास एटीएम तो है लेकिन जरूरत के लिए हाथ में पैसे नहीं हैं। छात्र नकदी नहीं होने के कारण चेक देते हैं लेकिन कोचिंग संस्थान नए नोट मांग रहे हैं। व्यवस्था नहीं सुधरी तो प्रदर्शन करेंगे। नोटबंदी सिर्फ जयपुर में नहीं बल्कि पूरे देश में है। इस दौरान हर किसी ने अपने दैनिक खर्चों का प्रबंधन करना शुरू किया है। कुछ छात्रों ने मदद की गुहार की थी तो उनको कुछ पैसे दिए हैं।
- डॉ. रामेश्वर जाट, शिक्षक, राजस्थान विवि
छात्र और शिक्षक के बीच आपसी समझ होती है। कुछ छात्रों को बेहद जरूरी काम के लिए पैसे की जरूरत थी तो उन्हें मदद की है। हालांकि नोटबंदी नहीं थी तब भी कई बार एेसा करना पड़ता है।
- डॉ. राजेश शर्मा, शिक्षक

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