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सरकार शिक्षा के सुधार में कोई कसर नहीं छोड़ेगी : सुरेन्द्रपाल

श्रममंत्री सुरेन्द्रपाल टीटी ने कहा कि किसान का बेटा होने के नाते वे जमीनी हकिकत को समझते है। शिक्षक संघ की ड्यूटी है कि वह अपनी बात रखे। शिक्षक संघ सरकार को थोडा जगाएगा नहीं तो पता कैसे चलेगा। मंत्री के नाते यहां बताई गई सारी बातें सरकार तक पहुंचाउंगा तथा अधिक से अधिक दे सकते है दिया जाएगा।
शिक्षकों का मान सम्मान तो होना ही चाहिए। यह बात गुरूवार को श्रम मंत्री सुरेन्द्र पाल टीटी ने कस्बे की राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल के पास आयोजित राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के 55वें राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में कही।

उन्होंने कहा कि सरकारें कितना भी प्रयास करले शिक्षा के बगैर देश का विकास संभव नही है। शिक्षा ही ऐसी सीढी है जोकि विकास के पथ पर लेजासकती है। हमारी मुख्यमंत्री वसुंधराराजे शिक्षा के प्रति संवेदनशील है। वह कर्मचारियों के हितों की सबसे पहले बात करने वाली मुख्यमंत्री है। इसी के चलते बजट में सबसे ज्यादा शिक्षा पर फण्ड दिया है। उन्होंने शिक्षक संघ द्वारा स्कूलें बंद करने की बात का जवाब देते हुए कहा कि स्कूलें बंद नहीं की बल्कि हो गए है। जहां दो बच्चे हो और शिक्षक तीन हो तो सरकार ऐसी स्कूलें बंद नहीं करती तो क्या करती। बंद किए है तो 5000 स्कूलें खोली भी है। हमने जो काम किए है वह ऐतिहासिक है।

हम आपके विराेधी नही है, बल्कि साथी है। जब हमको राज मिला तब घाटा ही घाटा मिला। ऐसी परिस्थिति में भी मुख्यमंत्री वसुंधराराजे विकास के नए आयाम स्थापित कर रही है। शिक्षा में सुधार होने लगा है। इस नई नीति से ही इसबार 10 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। सरकारी स्कूलों के बच्चे गोल्ड मेडल लेरहे है। यह बहुत बडी बात है। शिक्षक सम्मेलनों में अपने अधिकारों की बात के साथ अपने कर्तव्य की बात भी होनी चाहिए। शिक्षा के सुधार में कोई कसर नही छोडेंगे। बताई गई समस्याओं के लिए मुख्यमंत्री से बात करेंगे, लेकिन शिक्षकाें का भी सहयोग होना चाहिए। मालपुरा-टाेडारायसिंह विधायक कन्हैयालाल चौधरी ने कहा कि जो स्कूलें बंद हुई है वहां की स्थिति हमने देखी है। कही कही तो बच्चे नगण्य थे। पिछले ढाई साल से शिक्षा में काफी सुधार हुआ है। सरकार ने 5 हजार स्कूलें खोली है तथा 70 हजार शिक्षकांे के प्रमोशन किए है। छोटी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को भी दूर करेंगे। बिना भेदभाव के काउंसलिंग से तबादले किए गए है।

शिक्षक काे भी चाहिए वह पहले चाणक्य बनकर चंद्रगुप्त मोर्य को ढूंढे। टोंक विधायक अजीत सिंह मेहता ने कहा कि गुरूओं का भी कर्तव्य है कि वह अपना पक्ष इमानदारी से रखे। हमने तबादलों पर पारदर्शिता लाकर शिक्षकों के साथ न्याय किया है। शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों में राष्ट्रीयता का भाव पैदा करे। शिक्षक तो वो अाइना है जो पूरे देश का आइना बदल सकते है। हमारी कथनी और करनी में कोेई अंतर नही है। शिक्षक संघ के वक्ता महावीर सिहाग ने शिक्षकों की समस्याएं गिनाते हुए कहा कि सरकार ने जो स्कूलें बंद की है उन स्कूलों को पुन: खोला जाए। सरकार ने स्कूलों में लगे 15 हजार कम्प्यूटर म्शिक्षकों को हटा दिया। कम्प्यूटर शिक्षक लगाए जाए। स्कूलाें में सफाई के लिए सफाई कर्मचारी लगाए जाए। स्कूलों में पोषाहार बनाने वाली को 1 हजार रूपए दिए जाते है जोकि बहुत कम है। इनका मानदेय बढाया जाए। स्कूलों का बढाया समय वापस पहले की भांति किया जाए। पारदर्शिता से तबादला कर तबादला उद्योग बंद किया जाए। शेष रह रहे प्रबोधकों का भी सरकार भला करे।

मुख्यवक्ता बादल ने कहा शिक्षक बचेगा तो दुिनया बचेगी। शिक्षा को बचाने में कोई समझोता नही होना चाहिए। सम्मेलन में किशनलाल यादव, रइस अहमद नकवीं, हरपाल मीणा, इश्वर सिंह, पालिका अध्यक्ष संतकुमार जैन, प्रधान शीला मीना, टोंक प्रधान जगदीश गुर्जर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विद्यादेव सिंह, घासीराम चौधरी, सुरेश शर्मा, श्रवण पुरोहित, रंगलाल जाट, तहसील अध्यक्ष शिवराज गुर्जर, आर.डी.गुर्जर, सत्यनारायण दाधीच, नारायणलाल शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम से पूर्व शिक्षक संघ शेखावत के पदाधिकारियों ने श्रम मंत्री सुरेन्द्र पाल टीटी, विधायकों सहित सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। शिक्षक सम्मेलन में हजारों शिक्षकों ने भाग लिया।
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