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किसी ने नहीं दी परीक्षा तो किसी की शीट चैक ही नहीं हुई, फिर भी दे दिए मार्क्स

जयपुर.राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल की 10वीं की प्रायोगिक परीक्षाओं में गंभीर अनियमितता सामने आई है। हैरत की बात है कि परीक्षार्थी परीक्षा देने ही नहीं गया और ओएमआर सीट तैयार हो गई। कॉपी में अंक कुछ मिले और ओएमआर सीट में अंक कुछ और दे दिए।

कुछ परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं तो जांची ही नहीं गई और मनमर्जी से नंबर लुटा दिए गए। समय रहते अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े का पता चल गया और स्टेट ओपन ने 500 परीक्षार्थियों के परिणाम पर रोक लगा दी। इसके लिए जिम्मेदार चार शिक्षकों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है।
स्टेट ओपन स्कूल के मार्च 2005 में गठन के बाद से पिछले ग्यारह साल के इतिहास में फर्जीवाड़े का यह बड़ा मामला है। फर्जीवाड़े का यह मामला बाड़मेर के बालोतरा के राजकीय माध्यमिक विद्यालय से जुड़ा है। यहां स्टेट ओपन स्कूल की अप्रैल-मई 2016 में हुई 10वीं की प्रायोगिक परीक्षा में गंभीर अनियमितताएं सामने आई है। इस प्रकार की अनियमितताएं सालों से चल रही होगी, लेकिन पहली बार जब शिकायत की जांच हुई तो सारी पोल खुल गई। बाड़मेर के पूर्व सभापति महेश बी. चौहान ने जून में इस स्कूल की शिकायत सचिव महेशचंद गुप्ता से की थी।
गुप्ता को सचिव पद पर आए तब केवल दो दिन ही हुए थे। गुप्ता ने शिकायत को गंभीरता से लिया और जांच की तो हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। स्कूल की प्रायोगिक परीक्षा में जोरदार धांधली हो रही थी और इसमें स्कूल के चार शिक्षक भी लिप्त पाए गए। स्टेट ओपन स्कूल ने चारों शिक्षकों जगदीश धुंधारा, राजेश नामा, बजरंग सिंह और प्रेमसिंह खोखर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए बाड़मेर के जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिख दिया है।
बालोतरा के एक केंद्र पर नंबरों में हेराफेरी करने की शिकायत मिली थी, जिसकी जांच कराई तो शिकायत सही पाई गई। संबंधित केंद्र के 500 परीक्षार्थियों का परिणाम रोक लिया गया। चार शिक्षक दोषी पाए गए। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए बाड़मेर के डीईओ को पत्र लिख दिया गया है। - महेश चंद गुप्ता, सचिव, राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल
स्टेट ओपन स्कूल के अधिकारियों ने मेरी शिकायत को गंभीरता से लिया। इसी कारण यह अनियमितता उजागर हो सकी। इसमें दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। - महेश बी. चौहान, शिकायतकर्ता व पूर्व सभापति नगर परिषद, बाड़मेर

शिकायत को पहली बार गंभीरता से लिया गया तो पोल खुल गई

शिक्षा सचिव नरेशपाल गंगवार खुद स्टेट ओपन स्कूल के चेयरमेन हैं और दो साल से अधिक समय से शिक्षा विभाग के सचिव के पद पर काम कर रहे हैं। कई सालों तक दयाराम महरिया स्टेट ओपन के सचिव रहे। सवाल उठता है कि क्या आज तक फर्जीवाड़े की कोई शिकायत नहीं मिली या शिकायत आई तो दबा ली गई। पहली बार जब शिकायत को गंभीरता से लिया तो स्टेट ओपन स्कूल में हो रही अनियमितताओं की पोल खुल गई।
जांच में मिली 7 तरह की अनियमितताएं
- परीक्षार्थियों की ओएमआर सीट और उत्तरपुस्तिकाओं में अंक समान नहीं थे।
- उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन प्रश्नों के अनुसार नहीं करके, केवल ऊपरी पृष्ठ पर नंबर भर दिए गए।
- सवालों के अंक विभाजन की प्रक्रिया की भी अनदेखी कर मनमर्जी से अंक दे दिए गए।
- परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं मौजूद थी, लेकिन उनकी ओएमआर सीट गायब थी और उन्हें अनुपस्थित दर्शा दिया गया।
- कई परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं नहीं थी, लेकिन उपस्थिति पत्रक में उनके हस्ताक्षर थे और ओएमआर सीट में भी नंबर भर दिए गए।
- अधिकांश परीक्षार्थी ऐसे थे, जिनके हस्ताक्षरों में कांट छांट की गई। उपस्थिति प्रमाणित करने की संख्या भी कई बार बदली गई।
- उत्तरपुस्तिका में आए नंबर की बजाय ओएमआर सीट में मनमर्जी से अधिक नंबर भर दिए गए।
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