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अलवर के इस स्कूल में हर 'मौत' के बाद दी जाती है तीन दिन की छुट्टी

अलवर राजस्थान के अलवर जिले के एक सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल में हर मौत के बाद बच्चों को तीन दिनों की छुट्टी दी जाती है। इसकी वजह है कि स्कूल एक श्मशान घाट पर स्थित है।
जब भी वहां किसी मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है, उसके बाद स्कूल में पढ़ने वाले 180 बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है।

गांधी सवाईराम गांव के आदर्श स्कूल में दशकों से ऐसा होता आ रहा है। स्कूल को जबरन तीन दिन के लिए बंद कराए जाने के खिलाफ प्रिंसिपल ने कई बार शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा है। प्रिंसिपल की तरफ से कई बार लिखित गुजारिश की गई है कि स्कूल को कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए, ताकि बिना वजह की छुट्टी से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो। श्मशान घाट गांव के राजपूत समुदाय का है और सालों से इसे मृतक के अंतिम संस्कार के बाद तीन दिनों के लिए जबरन बंद कराया जाता है।


75 साल के प्रभु दयाल मीणा ने इसी स्कूल से पढ़ाई की है और वह याद करते हुए कहते हैं, 'जिस वक्त मैं यहां पढ़ता था, उस वक्त भी जबरदस्ती स्कूल को तीन दिन के लिए बंद कराया जाता था। बच्चे तीन दिन की छुट्टी के कारण किसी के भी मरने पर खुश हो जाते हैं। मुझे आश्चर्य है कि सालों बाद जब इसी स्कूल में मेरा पोता पढ़ रहा है, यह नियम आज भी लागू है।'

आनंदी लाल बैरवा स्कूल की टीचर हैं, उनका भी मानना है कि स्कूल शिफ्ट किया जाए तो रिजल्ट और अच्छा हो सकता है। बैरवा कहती हैं, 'मैंने इसी स्कूल से पढ़ाई की है और आज यहां शिक्षक के तौर पर नौकरी कर रही हूं। हमारे स्कूल का रिजल्ट अच्छा रहता है बच्चों के पैरंट्स भी खुश हैं। अगर स्कूल को शिफ्ट किया जाए तो और बेहतर परिणाम आ सकते हैं।' स्कूल की शुरुआत आजादी से पहले गुरुकुल के तौर पर हुई है। 1950 के दशक में स्कूल को प्राइमरी स्कूल के तौर पर और फिर 10 साल बाद हायर सेकंडरी स्कूल के तौर पर मान्यता दी गई।
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