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पंचायतीराज नियमों की पालना नहीं, एक शिक्षक की काउंसलिंग पर अंतरिम रोक

राजस्थानहाईकोर्ट ने एक याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए परिवेदना देने के बावजूद एक शिक्षक का सेटअप परिवर्तन कर काउंसलिंग की सूची में नाम डालने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस संबंध में पंचायतीराज विभाग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है।
याचिकाकर्ता सुभाष विश्नोई की ओर से अधिवक्ता निम्बाराम चौधरी ने कोर्ट को बताया कि गत 21 जून को राजकीय प्राथमिक विद्यालय तिकूनाडा को राजकीय प्राथमिक विद्यालय भोमियों की ढाणी में मर्ज कर दिया गया था। इस स्कूल के दो शिक्षकों में से एक शिक्षक को अधिशेष शिक्षक की सूची में डाल दिया गया, जबकि एक शिक्षक को भोमियों की ढाणी में लगा दिया। इसी स्कूल में कार्यरत याचिकाकर्ता को अधिशेष कर दिया गया, जो कि अनुचित है। दो जुलाई पांच जुलाई को काउंसलिंग के लिए जारी अधिशेष शिक्षकों की सूची में उसका नाम डाल दिया गया। इस संबंध में उसके द्वारा परिवेदना पर भी कोई विचार नहीं किया गया। अधिवक्ता चौधरी ने कहा कि पंचायतीराज अधिनियम के अनुच्छेद 289 के तहत पंचायतीराज के अधीन नियुक्त शिक्षक के तबादले या अन्यत्र लगाने के लिए स्थापना समिति की मंजूरी लेनी जरूरी होती है, लेकिन यहां मंजूरी लिए की बगैर ही काउंसलिंग की जा रही है। यहां तो स्थापना समिति की मंजूरी बाद में ली जाएगी और उसमें भी समिति की ओर से मंजूरी नहीं देने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा मंजूरी देने के आदेश जारी कर दिए, जो कि न्यायोचित नहीं है। न्यायाधीश जयश्री ठाकुर की याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता की काउंसलिंग पर रोक लगा दी।

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