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प्रारम्भिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न / समानिकरण के मायने

1) ग्रामीण क्षैत्र के विद्यालय जहा छात्र संख्या अधिक होने के बावजुद शिक्षको की भारी कमी थी वहा RTE के अनुपात मे पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध होंगे वो भी विषयानुसार। अर्थात गणित का शिक्षक ही गणित पढायेगा न कि अन्य विषय का।
2) शहरी क्षैत्र के स्कुलो में रसुख के दम पर बिना छात्र संख्या के भी लम्बे समय से जमे शिक्षको को रिक्त चल रहे पदो के विद्यालयो मे जाना होगा ताकि सभी छात्रो को समान अवसर उपलब्ध होंगे।
3) चुकि अब राजस्थान के प्रत्येक प्रा. व उ.प्रा.विद्यालयो मे शिक्षको के पद छात्र संख्या के अनुपात मे तय कर दिये है तथा प्रत्येक दो वर्षो मे विद्यालय की छात्र संख्या के हिसाब से घटाये/बढाये जायेंगे। अतःअध्यापको को सरकारी स्कुलो मे रोल बढाने के लिये मेहनत करनी होगी।
4) राज्य के सभी सरकारी प्रा./उ.प्रा विद्यालयो मे रिक्त पदो की स्पष्ट जानकारी मिल जाने के कारण आने वाले समय मे अच्छी संख्या मे विषयानुसार शिक्षक भर्तीया होंगी।
5) 45-50 की छात्र संख्या पर 7-8 शिक्षक और 200-250 की छात्र संख्या पर 2-3 शिक्षको वाली स्थिति हमेशा के लिये समाप्त हो जायेगी।
6) उच्च प्राथमिक विद्यालयो मे 2nd लेवल के विषयानुसार पदो के कारण निष्णांत अध्यापक अपनी ही विषय पढायेगा। सा.ज्ञान/हिन्दी के अध्यापक को गणित/ अंग्रेजी नही पढानी पढेगी। 8वी बॉर्ड का परिणाम सुधरेगा।
7) शहरी तथा ग्रामीण क्षैत्र के बालको को पढाई के समान अवसर प्राप्त होंगे।


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