Important Posts

Advertisement

राजस्थान की किताबों में अब नेहरू, अकबर नहीं होंगे, ये हुआ न शुद्ध देसी रोमांस!

दो दिन पहले पाकिस्तान के 'द डॉन' अखबार के ऑनलाइन एडिशन में छपे एक लेख को पढ़ा. लेखक हैं परवेज हूदभोए. इस लेख में उन्होंने बहुत विस्तार से बताया है पाकिस्तान में कैसी शिक्षा पद्धति है. वहां के छात्र जब भौतिकी या जीव-विज्ञान की किताब खोलते हैं तो पता नहीं चल पाता कि वे विज्ञान पढ़ रहे हैं
या धर्मशास्त्र. कारण ये कि पाकिस्तान बोर्ड के लिए सरकार द्वारा प्रकाशित की जाने वाली सभी पुस्तकों के पहले चैप्टर में इस बात का जिक्र जरूरी है कि कैसे अल्लाह ने ये दुनिया बनाई. लेखक ने वहां 10वीं कक्षा में पढ़ाई जाने वाली फिजिक्स की किताब का उदाहरण दिया है. उसमें न्यूटन और आइंस्टाइन का जिक्र तक नहीं है. लेखक ने वहां छठी कक्षा में पढ़ाई जाने वाली फिजिक्स की किताब का भी उदाहरण दिया. किताब में लिखा गया है कि बिग बैंग थ्योरी, बेल्जियम के एक पादरी जॉर्ज लैमेटर के दिमाग की उपज है. छठी कक्षा की उस किताब के लेखकों के अनुसार, 'ठीक है कि पूरी दुनिया में बिग बैंग की थ्योरी को ही माना जाता है लेकिन ये शायद कभी साबित नहीं पाएगा'.

ये तो बस एक दो उदाहरण हैं. सूची लंबी है. विज्ञान की किताबों में धर्म और इतिहास की किताबों में पाकिस्तान ही पाकिस्तान. ये वहां का सच है. जाहिर है जब आप हर विषय में और स्कूली शिक्षा तक में धर्मशास्त्र और संस्कृति का कॉकटेल मिलाने लगेंगे तो यही होगा. आप भी उसी विभत्स और कट्टर चेहरे का हिस्सा बन जाएंगे. इसलिए फैसला करना जरूरी है कि क्या हम पाकिस्तान और अफगानिस्तान बनना चाहते हैं? क्या हमारा आदर्श पाकिस्तान है या उसके उलट विविधता को जगह देनी है?
दरअसल, राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए सोशल साइंस की जो नई किताब आने वाली है, उसे लेकर हंगामा मचा है. बताया जा रहा है कि जो किताबें तैयार करवाई गईं हैं, उसमें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की तस्वीरें तो छोड़िए जिक्र तक नही है. इसके बदले वीर सावरकर की एंट्री हुई है और पटेल और सुभाष चंद्र बोस को खासी तवज्जो दी गई है. 'ग्रेट' अकबर को हटाकर महराणा प्रताप द ग्रेट पाठ जोड़ा गया है. यही नहीं सिलेबस में पहली बार स्कूली बच्चे गीता और गाय की महिमा पढ़ते नजर आएंगे.

नेहरू का नाम हटाए जाने पर अब कांग्रेस वाले बिफरे हुए हैं. राजस्थान सरकार अपनी सफाई दे रही है. चलिए ये तो हुई राजनीति की बात. डेमोक्रेसी है तो कांग्रेस Vs बीजेपी भी होना जरूरी है. कोई शक नहीं कि कांग्रेस के कर्ताधर्ताओं ने भी इतिहास के साथ खूब खेल खेला है. लेकिन इसकी चिंता कौन करेगा कि इस राजनीति के बीच हम अपने भविष्य को कैसी शिक्षा देने जा रहे हैं और इसका नतीजा कितना घातक होगा. आठवीं कक्षा के इतिहास में अब तक पहला पाठ यूरोप के इतिहास से जुड़ा था जिसकी जगह राजस्थान की विरांगना हाड़ा रानी पर पाठ द ब्रेव लेडी आफ राजस्थान का पाठ और चाणक्या द ग्रेट का पाठ शुरु किया गया है. माना, अपनी संस्कृति की बात करना बिल्कुल ठीक है. लेकिन कहीं इस कोशिश में 'सिर्फ हम ही हम' वाली कहानी न शुरू हो जाए, इसका ध्यान कौन रखेगा.

अगले पंद्रह दिनों में ये राजस्थान सरकार की तरफ से निशुल्क मिलने वाली किताबें राज्य के 3000 हजार सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए पहुंच जाएंगी. फिलहाल ये ऑनलाइन- http://www.rstbraj.in- पर उपलब्ध हैं. भारत में इतिहास को तोड़ना-मरोड़ना, उसका राजनीतिकरण कोई नई बात नहीं है. लेकिन विडंबना ये कि इसे खत्म करने की बजाए हम इसको और बढ़ावा ही देते जा रहे हैं.

महाराणा प्रताप महान थे, इससे इंकार किसको है. लेकिन जब इतिहास की क्लास में बच्चे अकबर की शासन पद्धति पर सवाल पूछेंगे तो हमारे शिक्षक उन्हें क्या जवाब देंगे? और क्या कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते-करते कांग्रेस को इतिहास की किताबों से भी हटाएंगे? ये तो वही बात हो गई जैसा पाकिस्तान के इतिहास के किताबों में पढ़ाया जाता है कि उस देश की नींव 711 AD में ही मोहम्मद बिन कासिम ने डाल दी थी जब उसने सिंध पर कब्जा किया. मोहनजोदड़ो, सिंधू धाटी सभ्यता का जिक्र किया जाता है लेकिन इस तरह कि वहां का कोई बच्चा सिंधू धाटी की संस्कृति और रीति-रिवाजों पर कोई सवाल न पूछ ले. क्या हमें भी उसी राह पर आगे बढ़ना है...ये तय करना जरूरी है.
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

UPTET news

Recent Posts Widget

Photography